Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Jul 2024 · 2 min read

” अकाल्पनिक मनोस्थिति “

” अकाल्पनिक मनोस्थिति ”
आधी के आस पास बीत गई है उमरिया मेरी
उछलती कूदती शरारत करती रहती सारे दिन
सभी कहते एनर्जी का पॉवर हाऊस है मीनू तो
डॉक्टर से शायद ही कभी मेरा पाला पड़ा था,
2023 में एक दिन आई थी बहुत मनहूस घड़ी
अजीब सी औरत दफ्तर में रहने जो आ गई थी
मीनू कैसे बोलती है, कैसे शान से चलती है देखो
पगलाई सी ये गीत सारे दिन गुनगुनाती रहती थी ,
कभी बोलती मीनू 16 पर ए सी चलाती है देखो
कभी मेरे रहन सहन के पीछे पागल हो जाती
कभी कहती मीनू की आवाज कितनी दमदार है
राम जाने इतनी अजीब हरकत क्यों करती थी,
मेरी हर गतिविधि में घुसने की कोशिश करती
वाणी निकालती जो पूरी हो जाती पता नहीं क्यों
जकड़ लिया मीनू को अंधविश्वास की जंजीरों ने
एक अजीब सी नफरत उससे मुझे हो चली थी,
गर्भावस्था में भी तकलीफ नहीं झेली थी कभी
आज लेकिन अस्पताल के दरवाजे को छू लिया
कुवाणी ने ऐसा धर दबोचा था फिर पूनिया को
तभी अजीब बैचनी सी हरदम रहने लगी थी,
एसी के पीछे पड़ी तो जुकाम ने घेर लिया जी
बोलती बंद हो गई जब आवाज के पीछे पड़ी
बिना ही बीमारी सर्जरी की नौबत आन पड़ी
ना कोई लक्षण दिखे ना ही कोई तकलीफ थी,
मां बोली नजर लगाई मेरी शेर बेटी को किसने
सास अपने स्तर से प्रयास करे सही करने का
राज के तो हाथ पांव फूले क्या बला आ गई
हरदम चहकने वाली मीनू शांत जो हो गई थी,
पहली बार दवाई का स्वाद चखा है जीवन में
गोलियां खा खाकर पूनिया का सिर चकराए
हे प्रभु ऐसे इंसान से दोबारा कभी ना मिलवाना
ना जिऊं ना जीने दूं, जिसने धुन अपनाई थी।

Language: Hindi
1 Like · 172 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr Meenu Poonia
View all

You may also like these posts

पिता वह व्यक्ति होता है
पिता वह व्यक्ति होता है
शेखर सिंह
वृद्धाश्रम
वृद्धाश्रम
Shyam Vashishtha 'शाहिद'
थोड़ी देर पहले घुसे कीड़े का,
थोड़ी देर पहले घुसे कीड़े का,
Ranjeet kumar patre
I'm not proud
I'm not proud
VINOD CHAUHAN
संगाई (भू-श्रंगी हिरण)
संगाई (भू-श्रंगी हिरण)
Indu Singh
शुक्रिया
शुक्रिया
MEENU SHARMA
प्रभु संग प्रीति
प्रभु संग प्रीति
Pratibha Pandey
ईमानदारी का सबूत
ईमानदारी का सबूत
Sudhir srivastava
उसकी याद में क्यों
उसकी याद में क्यों
Chitra Bisht
मैं दुआ करता हूं तू उसको मुकम्मल कर दे,
मैं दुआ करता हूं तू उसको मुकम्मल कर दे,
Abhishek Soni
3993.💐 *पूर्णिका* 💐
3993.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Deepanjali Dubey
" मायने "
Dr. Kishan tandon kranti
मैं हूँ ना, हताश तू होना नहीं
मैं हूँ ना, हताश तू होना नहीं
gurudeenverma198
आचार्या पूनम RM एस्ट्रोसेज
आचार्या पूनम RM एस्ट्रोसेज
कवि कृष्णा बेदर्दी 💔
वक्त के थपेड़ो ने जीना सीखा दिया
वक्त के थपेड़ो ने जीना सीखा दिया
Pramila sultan
वह गांव की एक शाम
वह गांव की एक शाम
मधुसूदन गौतम
अच्छे बच्चे
अच्छे बच्चे
विजय कुमार नामदेव
मोल
मोल
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
उम्र न जाने किन गलियों से गुजरी कुछ ख़्वाब मुकम्मल हुए कुछ उन
उम्र न जाने किन गलियों से गुजरी कुछ ख़्वाब मुकम्मल हुए कुछ उन
पूर्वार्थ
आविष्कार एक स्वर्णिम अवसर की तलाश है।
आविष्कार एक स्वर्णिम अवसर की तलाश है।
Rj Anand Prajapati
जुदाई की शाम
जुदाई की शाम
Shekhar Chandra Mitra
मैं टीम इंडिया - क्यों एक अभिशापित कर्ण हूँ मैं!
मैं टीम इंडिया - क्यों एक अभिशापित कर्ण हूँ मैं!
Pradeep Shoree
टूटे दिल को लेकर भी अब जाऐं कहाँ
टूटे दिल को लेकर भी अब जाऐं कहाँ
डॉ.एल. सी. जैदिया 'जैदि'
हमें जीवन के प्रति सजग होना होगा, अपने चेतना को एक स्पष्ट दि
हमें जीवन के प्रति सजग होना होगा, अपने चेतना को एक स्पष्ट दि
Ravikesh Jha
बलिदानियों की ज्योति पर जाकर चढ़ाऊँ फूल मैं।
बलिदानियों की ज्योति पर जाकर चढ़ाऊँ फूल मैं।
जगदीश शर्मा सहज
गीत- निभाएँ साथ इतना बस...
गीत- निभाएँ साथ इतना बस...
आर.एस. 'प्रीतम'
आखिर कुछ तो सबूत दो क्यों तुम जिंदा हो..
आखिर कुछ तो सबूत दो क्यों तुम जिंदा हो..
दीपक बवेजा सरल
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
अस्तु
अस्तु
Ashwani Kumar Jaiswal
Loading...