उसे दिल से लगा लूँ ये गवारा हो नहीं सकता
-कलयुग ऐसा आ गया भाई -भाई को खा गया -
मातृभूमि वंदना
PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य )
ये उम्र भर का मुसाफ़त है, दिल बड़ा रखना,
हम अपने जन्मदिन ,सालगिरह और शुभ अवसर का प्रदर्शन कर देते हैं
जितना मिला है उतने में ही खुश रहो मेरे दोस्त
हमेशा एक स्त्री उम्र से नहीं
Acknowedged with Best Author Award 2024 by Manda Publishers
उन्होंने कहा बात न किया कीजिए मुझसे
They say, "Being in a relationship distracts you from your c
युग युवा
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
सारे दूर विषाद करें
अटल मुरादाबादी(ओज व व्यंग्य )
फागुन महराज, फागुन महराज, अब के गए कब अइहा: लोक छत्तीसगढ़ी कविता
*जाते जग से श्रेष्ठ जन, सौ-सौ उन्हें प्रणाम (कुंडलिया)*
हर घर में जब जले दियाली ।
इस जीवन में हम कितनों को समझ गए,