हौसलों के पंख तू अपने लगा
पाठको से
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
दोहे- शक्ति
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
दिल लगाकर उससे, हम कौन हैं, ये हमीं भूल गए,
जब तक हम जीवित रहते हैं तो हम सबसे डरते हैं
23/70.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
तेवरीः शिल्प-गत विशेषताएं +रमेशराज
अच्छे थे जब हम तन्हा थे, तब ये गम तो नहीं थे
बस इतना-सा प्रेममय, हो जाना घनश्याम।
यह कैसी आस्था ,यह कैसी भक्ति ?
#माँ, मेरी माँ
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी