कुछ लोग जन्म से ही खूब भाग्यशाली होते हैं,
बहुत आसान है भीड़ देख कर कौरवों के तरफ खड़े हो जाना,
मज़हब ही है सिखाता आपस में वैर रखना
यह जो आँखों में दिख रहा है
“ सर्पराज ” सूबेदार छुछुंदर से नाराज “( व्यंगयात्मक अभिव्यक्ति )
बहुत जरूरी है तो मुझे खुद को ढूंढना
कहने को बाकी क्या रह गया
Sandhya Chaturvedi(काव्यसंध्या)
विवाह का आधार अगर प्रेम न हो तो वह देह का विक्रय है ~ प्रेमच
शराब हो या इश्क़ हो बहकाना काम है
*भीड़ में चलते रहे हम, भीड़ की रफ्तार से (हिंदी गजल)*