Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
31 May 2024 · 1 min read

ग्रीष्म

दोहे : ग्रीष्म

चार माह ग्रीष्म के ,होते हैं घनघोर|
लू चले और ताप बढ़े,आंधी मचावे शोर||

आम पुदीना ,बेल,ककड़ी|
सत्तू ,शरबत का चलै दौर||

बौर बढ़ अमिया ,आम बने|
सीकर,ललचे मनवा मोर||

नानी दादी देय आशीष|
जब नाती,पोते मचावैं शोर||

जब गरमी भीषण बढ़े|
तब घटा घिरै घनघोर||

पड़ै बूंद जब बारिस की|
सोंधी माटी महकै जोर||

कुमुद श्रीवास्तव (वर्मा)..

108 Views

You may also like these posts

An excuse.
An excuse.
Priya princess panwar
धूतानां धूतम अस्मि
धूतानां धूतम अस्मि
DR ARUN KUMAR SHASTRI
ऋतुराज
ऋतुराज
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
परायों में, अपना तलाशने निकलें हैं हमदम।
परायों में, अपना तलाशने निकलें हैं हमदम।
श्याम सांवरा
मिल रही है
मिल रही है
विजय कुमार नामदेव
किन्नर(कुछ दोहे)
किन्नर(कुछ दोहे)
Dr Archana Gupta
अब मै ख़ुद से खफा रहने लगा हूँ
अब मै ख़ुद से खफा रहने लगा हूँ
Bhupendra Rawat
ललित
ललित
ललकार भारद्वाज
इतनी नाराज़ हूं तुमसे मैं अब
इतनी नाराज़ हूं तुमसे मैं अब
Dheerja Sharma
कितनी जमीन?
कितनी जमीन?
Rambali Mishra
हैवानियत के पाँव नहीं होते!
हैवानियत के पाँव नहीं होते!
Atul "Krishn"
*
*"माँ कात्यायनी'*
Shashi kala vyas
हे मात जीवन दायिनी नर्मदे मैया
हे मात जीवन दायिनी नर्मदे मैया
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
पैसा है मेरा यार, कभी साथ न छोड़ा।
पैसा है मेरा यार, कभी साथ न छोड़ा।
Sanjay ' शून्य'
जिंदगी जिंदादिली का नाम है
जिंदगी जिंदादिली का नाम है
नंदलाल सिंह 'कांतिपति'
भय
भय
Shyam Sundar Subramanian
ख्वाहिशों के बैंलेस को
ख्वाहिशों के बैंलेस को
Sunil Maheshwari
दोहा पंचक. . . नववर्ष
दोहा पंचक. . . नववर्ष
Sushil Sarna
तेरे हम है
तेरे हम है
Dinesh Kumar Gangwar
बिखरे खुद को, जब भी समेट कर रखा, खुद के ताबूत से हीं, खुद को गवां कर गए।
बिखरे खुद को, जब भी समेट कर रखा, खुद के ताबूत से हीं, खुद को गवां कर गए।
Manisha Manjari
3157.*पूर्णिका*
3157.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
सर्वनाम के भेद
सर्वनाम के भेद
Neelam Sharma
पितामह भीष्म को यदि यह ज्ञात होता
पितामह भीष्म को यदि यह ज्ञात होता
Sonam Puneet Dubey
आया होली पर्व
आया होली पर्व
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
😊भायला-भायलियों!
😊भायला-भायलियों!
*प्रणय*
- सड़क पर चलता राहगीर -
- सड़क पर चलता राहगीर -
bharat gehlot
12, कैसे कैसे इन्सान
12, कैसे कैसे इन्सान
Dr .Shweta sood 'Madhu'
दुनियादारी सीख गये
दुनियादारी सीख गये
Surinder blackpen
हम में,तुम में दूरी क्यू है
हम में,तुम में दूरी क्यू है
Keshav kishor Kumar
"दोस्ती-दुश्मनी"
Dr. Kishan tandon kranti
Loading...