Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 May 2024 · 1 min read

पीपल बाबा बूड़ा बरगद

पीपल बाबा, बूड़ा बरगद शाखाएं अपनी फैलाता था
नीम हकीम की पुड़िया होती, भूत बबूल पे आता था

टेशू महकते फागन में, जेठ फालशे खाते थे
इठलाती इमली खट्टी, मीठा चूर्ण संग मिलाते थे
आम की हर टहनी पर हक़ अपना हम रखते थे
लटक के झूला भीगे सावन में मल्हारें गाता था

ऊँचे दरख्त अमलताश के, सहजन के संग इठलाते
अपनी जवानी को दिखलाकर, मौल श्री को भरमाते
वहीँ कहीं पर कचनार खड़ा हो अपनी मौजें था करता
बेल कटहल के बीच में गूलर अपने फल को गिराता था

साँझ की छैया चौबारे की, शहतूत में डूबी होती थी
बेल अंगूरों की लहराती, दशहरी की मस्ती होती थी
कीकर करौंदा और लभेड़े संग, नींबू अमरुद टपकते
पक्का बाग़ की बनी तलैया, छप छप बचपन करता था

हे मनुज तुझे क्या हो गया, क्यों तू इतना बौराया है
काट जड़ो को इतना बता दे, किसने फिर सुख पाया है
ये वृक्ष औषधि वनस्पति,मेवा, गोंद का भी सुख देते
इनकी शीतल छाया ही, अवसाद का त्रस्त मिटाता था

हो आभारी परम शक्ति के, फिर से इनका ध्यान धरो
वर्ष में एक ही कम से कम, अपने लक्ष्य का भान करो
यही वृक्ष की महिमा, योग से आत्म वोध करवाते
इतिहास साक्षी इसके सच का, ये संगीत बनाता था
…………………………………………………………………….

Language: Hindi
3 Likes · 191 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr.Pratibha Prakash
View all

You may also like these posts

भूप
भूप
Shriyansh Gupta
नयी सुबह
नयी सुबह
Kanchan Khanna
भारतीय आहारऔर जंक फूड
भारतीय आहारऔर जंक फूड
लक्ष्मी सिंह
विनम्रता, सादगी और सरलता उनके व्यक्तित्व के आकर्षण थे। किसान
विनम्रता, सादगी और सरलता उनके व्यक्तित्व के आकर्षण थे। किसान
Shravan singh
अहंकार
अहंकार
Rambali Mishra
*स्पंदन को वंदन*
*स्पंदन को वंदन*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
ये जिंदगी है साहब.
ये जिंदगी है साहब.
शेखर सिंह
3729.💐 *पूर्णिका* 💐
3729.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
मुझे वास्तविकता का ज्ञान नही
मुझे वास्तविकता का ज्ञान नही
Keshav kishor Kumar
संग दीप के .......
संग दीप के .......
sushil sarna
काश तुम मेरे पास होते
काश तुम मेरे पास होते
Neeraj Mishra " नीर "
क्या से क्या हो गया?
क्या से क्या हो गया?
Rekha khichi
भजभजन- माता के जयकारे -रचनाकार- अरविंद भारद्वाज माता के जयकारे रचनाकार अरविंद
भजभजन- माता के जयकारे -रचनाकार- अरविंद भारद्वाज माता के जयकारे रचनाकार अरविंद
अरविंद भारद्वाज
मरने की ठान कर मारने के लिए आने वालों को निपटा देना पर्याप्त
मरने की ठान कर मारने के लिए आने वालों को निपटा देना पर्याप्त
*प्रणय प्रभात*
*नसीहत*
*नसीहत*
Shashank Mishra
भानू भी करता है नित नई शुरुवात,
भानू भी करता है नित नई शुरुवात,
पूर्वार्थ
नस-नस में तू है तुझको भुलाएँ भी किस तरह
नस-नस में तू है तुझको भुलाएँ भी किस तरह
Dr Archana Gupta
$ग़ज़ल
$ग़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
चंद अशआर
चंद अशआर
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
नाहक ही ख्वाब में जी कर क्या करेंगे ,
नाहक ही ख्वाब में जी कर क्या करेंगे ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
"सितम के आशियाने"
Dr. Kishan tandon kranti
आकाश पढ़ा करते हैं
आकाश पढ़ा करते हैं
Deepesh Dwivedi
*
*"माँ वसुंधरा"*
Shashi kala vyas
*मोर पंख* ( 12 of 25 )
*मोर पंख* ( 12 of 25 )
Kshma Urmila
हज़ारों लोगों की भीड़ ने तन्हा कर दिया मुझे,
हज़ारों लोगों की भीड़ ने तन्हा कर दिया मुझे,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
"हम आंखों से कुछ देख नहीं पा रहे हैं"
राकेश चौरसिया
Life: A Never-Ending Struggle
Life: A Never-Ending Struggle
Shyam Sundar Subramanian
सुप्रभात
सुप्रभात
Rituraj shivem verma
The Natural Thoughts
The Natural Thoughts
Buddha Prakash
छात्रों का विरोध स्वर
छात्रों का विरोध स्वर
Rj Anand Prajapati
Loading...