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24 May 2024 · 1 min read

असहाय मानव की पुकार

असहाय मानव की पुकार

असहाय मानव की करूण पुकार,
सुन लो हे प्रभु ! तारणहार ।
अज्ञानता का फैला अंधकार,
ज्ञानदृष्टि दे मिटाओ सर्व विकार ।

षड्‌विकारों का पड़ा प्रहार करारा,
जीवन – विसंगति से मानव हारा ।
संकट में प्राणि जगत यह सारा,
तुम्हारी शरण ही एकमात्र सहारा ।

मुक्ति हेतु दर-दर भटक रहा ,
पापकर्मों से भीतर तक कसक रहा
कर्मफल के अनजाने भय से डरा हुआ
कृपादृष्टि हेतु तुम्हारे दर पर पड़ा हुआ ।

किस विधि इसका होगा उद्वार,
कैसे होगा इस जगत से बेड़ा पार ?
मुक्ति की अभिलाषा लिए नर-नार,
प्रभु-मिलन को व्याकुल संसार ।

-डॉ० उपासना पाण्डेय

arlie

Language: Hindi
1 Like · 227 Views
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