Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 May 2024 · 1 min read

दस्त बदरिया (हास्य-विनोद)

एक कविता आप देखिए जिसका कवि के दस्तों से कोई सम्बंध नही है अर्थात इसमें लिए गए प्रतीकों को दस्त के दौरान होने वाली घटनाओं से कतई न जोड़ें… प्रस्तुत है क्षमा सहित एक हास्य-विनोद रचना👇

दस्त बदरिया
घुमड़-घुमड़ कर आते बादल
ज्यों नभ में छा जाते बादल
छिछिर-छिछिर ऐसे झड़ते थे
ज्यों छप्पर से झड़ता है जल

तड़क दामिनी नाद सुनाती
आशंका से भर जाता था मन
बहुत हो गया अब न बरसे
डरकर खुद से कहता था मन

गोरे मेघा हो गए काले
नही संभलते और संभाले
जितना बरसे चले पनाले
लगे उफनने भर-भर नाले

किंचित निद्रा आ नही पाती
आ जाती आशंकित बदरी
माह माघ की रातें काली
हो जाती थी पानी से पतरी

बन आते जब वायु के गुम्बद
आशा से मन हो जाता गद-गद
लगता था यह उड़ जाएगी
लौट बदरिया फिर न आएगी

मन आशंकित हो जाता था
शीत स्वेदमय हो जाता था
पवन मुक्ति में कहीं बदरिया
एक बूँद भी जो रिस जाती

-दुष्यंत ‘बाबा’
मानसरोवर, मुरादाबाद।

163 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

*मनः संवाद----*
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
221 2122 2 21 2122
221 2122 2 21 2122
SZUBAIR KHAN KHAN
3275.*पूर्णिका*
3275.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
जिन्दगी खूबसूरत है ...
जिन्दगी खूबसूरत है ...
Sunil Suman
#प्रभात_संदेश-
#प्रभात_संदेश-
*प्रणय प्रभात*
"मेरे अल्फ़ाज़"
Dr. Kishan tandon kranti
बचपन
बचपन
surenderpal vaidya
धर्मरोष
धर्मरोष
PANKAJ KUMAR TOMAR
गीत- कभी क़िस्मत अगर रूठे...
गीत- कभी क़िस्मत अगर रूठे...
आर.एस. 'प्रीतम'
जीवन एक और रिश्ते अनेक क्यों ना रिश्तों को स्नेह और सम्मान क
जीवन एक और रिश्ते अनेक क्यों ना रिश्तों को स्नेह और सम्मान क
Lokesh Sharma
# पिता#
# पिता#
Madhavi Srivastava
मै ही रहा मन से दग्ध
मै ही रहा मन से दग्ध
हिमांशु Kulshrestha
नीति पुण्य का जब क्षय होगा
नीति पुण्य का जब क्षय होगा
AJAY AMITABH SUMAN
- टेबिल टेनिस मेरे मन में छा गया टेबिल टेनिस वाली मन में आ गई -
- टेबिल टेनिस मेरे मन में छा गया टेबिल टेनिस वाली मन में आ गई -
bharat gehlot
प्रेम ओर जीवन
प्रेम ओर जीवन
पूर्वार्थ
मैंने एक चांद को देखा
मैंने एक चांद को देखा
नेताम आर सी
हृदय
हृदय
अनिल मिश्र
मैं अपना जीवन
मैं अपना जीवन
Swami Ganganiya
पाहन भी भगवान
पाहन भी भगवान
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
कोई ना होता है अपना माँ के सिवा
कोई ना होता है अपना माँ के सिवा
Basant Bhagawan Roy
कविता
कविता
Rambali Mishra
बस एक ही मुझको
बस एक ही मुझको
Dr fauzia Naseem shad
श्रंगार लिखा ना जाता है– शहीदों के प्रति संवेदना।
श्रंगार लिखा ना जाता है– शहीदों के प्रति संवेदना।
Abhishek Soni
दुविधा
दुविधा
उमा झा
चलो एक बार फिर से ख़ुशी के गीत गायें
चलो एक बार फिर से ख़ुशी के गीत गायें
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
वह एक हीं फूल है
वह एक हीं फूल है
Shweta Soni
*नशा करोगे राम-नाम का, भवसागर तर जाओगे (हिंदी गजल)*
*नशा करोगे राम-नाम का, भवसागर तर जाओगे (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
हिन्दू एकता
हिन्दू एकता
विजय कुमार अग्रवाल
सुनो पहाड़ की....!!! (भाग - ३)
सुनो पहाड़ की....!!! (भाग - ३)
Kanchan Khanna
मौसम सुहाना बनाया था जिसने
मौसम सुहाना बनाया था जिसने
VINOD CHAUHAN
Loading...