हृदय
हृदय
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मेरे इस नश्वर हृदय में
बहुत सी दरारें हैं
जो प्रतीक हैं
इस बात की
कि इस हृदय के दिल मे
उनके प्रति कितना सम्मान है
जिन्होंने इसे समय-असमय
तोड़ा है,कुचला है,
मसला है,रौंदा है
दरारों की अनवरत श्रृंखलाएं
प्रदान की हैं
भावनाओं को लंबी कीलें चुभाई हैं
और यह हृदय
उन सबकी यादों को
दरार के रूप में,
टूटन के रूप में
खुद में छिपाए,
उनके प्यार को पल-प्रतिपल
महसूस करते हुए
नहीं धड़कनें की बलवती इच्छा को भी
मन में सहेजकर
धड़क रहा है।
-अनिल कुमार मिश्र,राँची,भारत।