Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 May 2024 · 1 min read

“धैर्य”

“धैर्य”
धैर्य रखें
हड़बड़ी ना करें
जो जल्दी में थे
वे चले गए।

3 Likes · 2 Comments · 109 Views
Books from Dr. Kishan tandon kranti
View all

You may also like these posts

हकीकत से रूबरू हो चुके हैं, अब कोई ख़्वाब सजाना नहीं है।
हकीकत से रूबरू हो चुके हैं, अब कोई ख़्वाब सजाना नहीं है।
अनिल "आदर्श"
"कामदा: जीवन की धारा" _____________.
Mukta Rashmi
*बहुमुखी प्रतिभा के धनी : साहित्यकार आनंद कुमार गौरव*
*बहुमुखी प्रतिभा के धनी : साहित्यकार आनंद कुमार गौरव*
Ravi Prakash
उनका सम्मान तब बढ़ जाता है जब
उनका सम्मान तब बढ़ जाता है जब
Sonam Puneet Dubey
समुंद्र की खिड़कियां
समुंद्र की खिड़कियां
ओनिका सेतिया 'अनु '
*अब तो चले आना*
*अब तो चले आना*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
चौमासा विरहा
चौमासा विरहा
लक्ष्मी सिंह
काँच और पत्थर
काँच और पत्थर
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
17. I am never alone
17. I am never alone
Santosh Khanna (world record holder)
लौह पुरुष
लौह पुरुष
इंजी. संजय श्रीवास्तव
तेरी हुसन ए कशिश  हमें जीने नहीं देती ,
तेरी हुसन ए कशिश हमें जीने नहीं देती ,
Umender kumar
मुझे पति नहीं अपने लिए एक दोस्त चाहिए: कविता (आज की दौर की लड़कियों को समर्पित)
मुझे पति नहीं अपने लिए एक दोस्त चाहिए: कविता (आज की दौर की लड़कियों को समर्पित)
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
"सत्य"
Dr. Kishan tandon kranti
गुनगुनी धूप
गुनगुनी धूप
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
#निष्कर्ष-
#निष्कर्ष-
*प्रणय*
कहमुकरी
कहमुकरी
डॉ.सीमा अग्रवाल
राम छोड़ ना कोई हमारे..
राम छोड़ ना कोई हमारे..
Vijay kumar Pandey
बहुत
बहुत
sushil sarna
4377.*पूर्णिका*
4377.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
प्रेम करें.... यदि
प्रेम करें.... यदि
महेश चन्द्र त्रिपाठी
एक अजन्मी पुकार
एक अजन्मी पुकार
R D Jangra
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-157 से चयनित दोहे संयोजन- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-157 से चयनित दोहे संयोजन- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
हमें निंदा से डरना नहीं चाहिए क्योंकि जब तक जीवन है लोग कहें
हमें निंदा से डरना नहीं चाहिए क्योंकि जब तक जीवन है लोग कहें
Ravikesh Jha
अभिसप्त गधा
अभिसप्त गधा
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
माँ साथ रहे... माँ जितनी
माँ साथ रहे... माँ जितनी
सिद्धार्थ गोरखपुरी
जिसे चाहा था खुद से भी जादा उसी को पा ना सका ।
जिसे चाहा था खुद से भी जादा उसी को पा ना सका ।
Nitesh Chauhan
साँझ का बटोही
साँझ का बटोही
आशा शैली
कविता -नैराश्य और मैं
कविता -नैराश्य और मैं
Dr Tabassum Jahan
" CHINA: FROM PACIFIC OCEAN TO INDIAN OCEAN "
DrLakshman Jha Parimal
खत लिखना
खत लिखना
surenderpal vaidya
Loading...