Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 May 2024 · 1 min read

दोहा सप्तक. . . . रिश्ते

दोहा सप्तक. . . . रिश्ते

आपस के माधुर्य को, हरते कड़वे बोल ।
मिटें जरा सी चूक से, रिश्ते सब अनमोल ।।

शंका से रिश्ते सभी, हो जाते बीमार ।
संबंधों में बेवजह, आती विकट दरार ।।

रिश्ता रेशम सूत सा, चटक चोट से जाय ।
कालान्तर में वेदना, इसकी भुला न पाय ।।

बंधन रिश्तों के सभी, आज हुए कमजोर ।
ओझल मिलने के हुए, आँखों से अब छोर ।।

रिश्तों में अब स्वार्थ का, जलता रहता दीप ।
दुर्गंधित से नीर में, खाली मुक्ता सीप ।।

संबंधों को चाहिए, प्रेम जनित सम्मान ।
रिश्तों के हर पृष्ठ को, पढ़िए अपना जान ।।

रिश्ते निर्मल नीर से, जीवन का शृंगार ।
आज दहकते स्वार्थ के, हरदम ही अंगार ।।

सुशील सरना / 8-5-24

53 Views

You may also like these posts

वसंत पंचमी
वसंत पंचमी
Dr. Upasana Pandey
कर्महीनता
कर्महीनता
Dr.Pratibha Prakash
सरल टिकाऊ साफ
सरल टिकाऊ साफ
RAMESH SHARMA
छूटा उसका हाथ
छूटा उसका हाथ
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
नारी विज्ञान
नारी विज्ञान
DR ARUN KUMAR SHASTRI
..
..
*प्रणय*
"आँखों की नमी"
Dr. Kishan tandon kranti
बातें कल भी होती थी, बातें आज भी होती हैं।
बातें कल भी होती थी, बातें आज भी होती हैं।
ओसमणी साहू 'ओश'
आदाब दोस्तों,,,
आदाब दोस्तों,,,
Neelofar Khan
हमने किस्मत से आंखें लड़ाई मगर
हमने किस्मत से आंखें लड़ाई मगर
VINOD CHAUHAN
*तू नहीं , तो  थी तेरी  याद सही*
*तू नहीं , तो थी तेरी याद सही*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
*यह सही है मूलतः तो, इस धरा पर रोग हैं (गीत)*
*यह सही है मूलतः तो, इस धरा पर रोग हैं (गीत)*
Ravi Prakash
घनाक्षरी
घनाक्षरी
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
बड़े-बड़े सपने देखते हैं लोग
बड़े-बड़े सपने देखते हैं लोग
Ajit Kumar "Karn"
पेड़ और नदी की गश्त
पेड़ और नदी की गश्त
Anil Kumar Mishra
किससे माफी माँगू, किसको माँफ़  करु।
किससे माफी माँगू, किसको माँफ़ करु।
Ashwini sharma
पागल के हाथ माचिस
पागल के हाथ माचिस
Khajan Singh Nain
यें लो पुस्तकें
यें लो पुस्तकें
Piyush Goel
हमने तुमको दिल दिया...
हमने तुमको दिल दिया...
डॉ.सीमा अग्रवाल
Falling Out Of Love
Falling Out Of Love
Vedha Singh
घृणा ……
घृणा ……
sushil sarna
समझ मत मील भर का ही, सृजन संसार मेरा है ।
समझ मत मील भर का ही, सृजन संसार मेरा है ।
Ashok deep
🙏*गुरु चरणों की धूल*🙏
🙏*गुरु चरणों की धूल*🙏
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
मातृत्व दिवस विशेष :
मातृत्व दिवस विशेष :
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
सूरज क्यों चमकता है?
सूरज क्यों चमकता है?
Nitesh Shah
मेरी पुरानी कविता
मेरी पुरानी कविता
Surinder blackpen
रमेशराज के विरोधरस दोहे
रमेशराज के विरोधरस दोहे
कवि रमेशराज
माँ-बाप की नज़र में, ज्ञान ही है सार,
माँ-बाप की नज़र में, ज्ञान ही है सार,
पूर्वार्थ
बदलता बचपन
बदलता बचपन
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
मै पूर्ण विवेक से कह सकता हूँ
मै पूर्ण विवेक से कह सकता हूँ
शेखर सिंह
Loading...