Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 May 2024 · 1 min read

अब वो मुलाकात कहाँ

कभी जी भर की बातें थी
मुलाकात अब भारी,
तेरी उल्फ़त से थी भरपूर
विगत वो रात सब सारी

याद है बात युवपन की
लकीरे हो रही गाढ़ी ,
जिस्म के पोर थे फूटे
अल्हड़ता खूब थी बरसी।

नाजुक मोड़ जीवन का
मिलन पर मेरी थी उलझी ,
बेबस लफ्ज थे मेरे
निगाहें तेरी थी नीची।

बहुत कुछ कहने की चाहत
लहर जज्बातों के उठते,
नदी उल्फत की थी बहती
रहे ग़ुरबत के थपेड़े ।

हुई कब दूर तुम मुझसे
पता कुछ चल नहीं पाया,
हुई जब भंग थी तन्द्रा
राह पर खुद को तब पाया।

वो ख्वाबों की रुसवाई
नीड़ का रूख किया हमने,
मेरी नादानी ही समझे
समय को भापा है किसने।

जमीं गज भरी नहीं जिसके
उसे गुलशन दिया सारा,
रहा दिनारो से महरूफ
खजाना दे दिया पूरा।

अभी जिन सिक्कों को मैंने
सही से गिन नहीं पाया,
बात करना रहा था दूर
जी भर देख नहि पाया।

सोचता था की अब दौरे
मुलाकात चलेगा,
पता न मुझको ये था की
सिरमुड़ाते ओले पड़ेगा।

इतना दूर तुमने हे खुदा
उसको है कर डाला ,
अबोध प्यार का निर्मेष
तूने अंत कर डाला।

निर्मेष

1 Like · 109 Views
Books from Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
View all

You may also like these posts

Chahat
Chahat
anurag Azamgarh
25)”हिन्दी भाषा”
25)”हिन्दी भाषा”
Sapna Arora
लतखिंचुअन के पँजरी...
लतखिंचुअन के पँजरी...
आकाश महेशपुरी
इन आँखों में इतनी सी नमी रह गई।
इन आँखों में इतनी सी नमी रह गई।
लक्ष्मी सिंह
23/167.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/167.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
■ लिख दिया है ताकि सनद रहे और वक़्त-ए-ज़रूरत काम आए।
■ लिख दिया है ताकि सनद रहे और वक़्त-ए-ज़रूरत काम आए।
*प्रणय*
संवेदना(सहानुभूति)
संवेदना(सहानुभूति)
Dr. Vaishali Verma
सीता स्वयंवर, सीता सजी स्वयंवर में देख माताएं मन हर्षित हो गई री
सीता स्वयंवर, सीता सजी स्वयंवर में देख माताएं मन हर्षित हो गई री
Dr.sima
" आशा "
Dr. Kishan tandon kranti
आज तो मेरी हँसी ही नही रूकी
आज तो मेरी हँसी ही नही रूकी
MEENU SHARMA
तेरा-मेरा साथ, जीवनभर का ...
तेरा-मेरा साथ, जीवनभर का ...
Sunil Suman
रमेशराज की पेड़ विषयक मुक्तछंद कविताएँ
रमेशराज की पेड़ विषयक मुक्तछंद कविताएँ
कवि रमेशराज
अभाव और साहित्य का पुराना रिश्ता है अभाव ही कवि को नए आलंबन
अभाव और साहित्य का पुराना रिश्ता है अभाव ही कवि को नए आलंबन
गुमनाम 'बाबा'
शीर्षक:-कृपालु सदा पुरुषोत्तम राम।
शीर्षक:-कृपालु सदा पुरुषोत्तम राम।
Pratibha Pandey
Happy friendship day
Happy friendship day
Deepali Kalra
वक्त की मार
वक्त की मार
Sakshi Singh
- रिश्तों से आजकल लोग गरीब हो गए -
- रिश्तों से आजकल लोग गरीब हो गए -
bharat gehlot
अपने आंसुओं से इन रास्ते को सींचा था,
अपने आंसुओं से इन रास्ते को सींचा था,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
ऊचां गिरि गढ़ माळियां, वीरता रा प्रमाण।
ऊचां गिरि गढ़ माळियां, वीरता रा प्रमाण।
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
उज्जैन घटना
उज्जैन घटना
Rahul Singh
खुद से मिल
खुद से मिल
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
3) मैं किताब हूँ
3) मैं किताब हूँ
पूनम झा 'प्रथमा'
छठ माता
छठ माता
Dr Archana Gupta
किराये के मकानों में
किराये के मकानों में
करन ''केसरा''
कुंती का भय
कुंती का भय
Shashi Mahajan
उम्र
उम्र
seema sharma
मेरी यादें
मेरी यादें
Dr fauzia Naseem shad
गरीबी और लाचारी
गरीबी और लाचारी
Mukesh Kumar Sonkar
ज़िंदगी भी क्या है?
ज़िंदगी भी क्या है?
शिवम राव मणि
बाट जोहती पुत्र का,
बाट जोहती पुत्र का,
sushil sarna
Loading...