Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
0
Notifications
Settings
Dr. Kishan tandon kranti
293 Followers
Follow
Report this post
24 Apr 2024 · 1 min read
“दादाजी”
“दादाजी”
दादाजी तुमसे सीखा हमने
मुस्कुराहट का मोल,
चाहे कोई भी हालात हों
सदा तोल कर बोल।
Tag:
Quote Writer
Like
Share
3 Likes
·
3 Comments
· 114 Views
Share
Facebook
Twitter
WhatsApp
Copy link to share
Copy
Link copied!
Books from Dr. Kishan tandon kranti
View all
पूनम का चाँद (कहानी-संग्रह)
Kishan Tandon Kranti
तस्वीर बदल रही है (काव्य-संग्रह)
Kishan Tandon Kranti
नवा रद्दा (कविता-संग्रह)
Kishan Tandon Kranti
तइहा ल बइहा लेगे (कविता-संग्रह)
Kishan Tandon Kranti
परछाई के रंग (काव्य-संग्रह)
Kishan Tandon Kranti
सबक (लघुकथा-संग्रह)
Kishan Tandon Kranti
सौदा (कहानी-संग्रह)
Kishan Tandon Kranti
जमीं के सितारे (कहानी-संग्रह)
Kishan Tandon Kranti
बेहतर दुनिया के लिए (काव्य-संग्रह)
Kishan Tandon Kranti
मेला (कहानी-संग्रह)
Kishan Tandon Kranti
You may also like these posts
यह तुम्हारी गलत सोच है
gurudeenverma198
*निरोध (पंचचामर छंद)*
Rituraj shivem verma
भोर पुरानी हो गई
आर एस आघात
त्रिलोक सिंह ठकुरेला के कुण्डलिया छंद
त्रिलोक सिंह ठकुरेला
जुर्म तुमने किया दोषी मैं हो गया।
Ashwini sharma
*पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मन्दिर, रामपुर*
Ravi Prakash
पेड़ और नदी की गश्त
Anil Kumar Mishra
प्रभात वर्णन
Godambari Negi
शिक्षक दिवस
Shyamsingh Lodhi Rajput "Tejpuriya"
23/89.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
दिल से दिलदार को मिलते हुए देखे हैं बहुत
Sarfaraz Ahmed Aasee
रंगमंच
Ritu Asooja
समूह
Neeraj Agarwal
मेरी कलम से…
Anand Kumar
उद्गार किया उपकार किया,
श्याम सांवरा
सफ़र अभी लंबा है...
Ajit Kumar "Karn"
बात का क्या है
Vivek Pandey
आक्रोष
Aman Sinha
विष को अमृत बनाओगे
Sonam Puneet Dubey
कभी-कभी हम यूँ ही उदास हो जाते हैं,
Ritesh Deo
" काले सफेद की कहानी "
Dr Meenu Poonia
जिंदगी के तूफ़ानों की प्रवाह ना कर
VINOD CHAUHAN
हर शख्स तन्हा
Surinder blackpen
रुखसत (ग़ज़ल)
ओनिका सेतिया 'अनु '
तुम्हारे इंतिज़ार में ........
sushil sarna
जा चला जा दिसंबर....
Jyoti Roshni
हर इंसान होशियार और समझदार है
पूर्वार्थ
"जल"
Dr. Kishan tandon kranti
ग़ज़ल’ की प्रतिक्रिया में ‘तेवरी’ + डॉ. परमलाल गुप्त
कवि रमेशराज
टिप्पणी
Adha Deshwal
Loading...