क्या भरोसा किया जाए जमाने पर
- समर्थक जिनके आज हो ताउम्र उनके उनके बने रहो -
*कुछ रखा यद्यपि नहीं संसार में (हिंदी गजल)*
लोग मेरे इरादों को नहीं पहचान पाते।
जीवन और रंग
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
रूस्वा -ए- ख़ल्क की खातिर हम जज़्ब किये जाते हैं ,
"अक्सर बहुत जल्दी कर देता हूंँ ll
मंज़िल मिली उसी को इसी इक लगन के साथ
ख़्वाहिशों को कहाँ मिलता, कोई मुक़म्मल ठिकाना है।
हिंदी दोहे- पंडित
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
हम सोचते थे ज़िन्दगी बदलने में बहुत समय लगेगा !
हाइकु (मैथिली)
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
रमेशराज की ‘ गोदान ‘ के पात्रों विषयक मुक्तछंद कविताएँ
सोशल मीडिया जंक | Social Media Junk
यूं टूट कर बिखरी पड़ी थी तन्हाईयां मेरी,