#ਸਭ ਵੇਲੇ - ਵੇਲੇ ਦੀ ਗੱਲ ਲੋਕੋ
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
यूँ तो इस पूरी क़ायनात मे यकीनन माँ जैसा कोई किरदार नहीं हो
ताल -तलैया रिक्त हैं, जलद हीन आसमान
जीवन बहुत कठिन है लेकिन तुमको जीना होगा ,
मंत्र,तंत्र,यंत्र और षडयंत्र आर के रस्तोगी
विश्व हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ
वसुधैव कुटुम्बकम् सनातन धर्म का मूल संस्कार तथा विचारधारा है
अपनी कमजोरियों में ही उलझे रहे
सारी जिंदगी की मुहब्बत का सिला.
ग़ज़ल- तू फितरत ए शैतां से कुछ जुदा तो नहीं है- डॉ तबस्सुम जहां
आँखों की गहराइयों में बसी वो ज्योत,
बीती ताहि बिसार दे आगे की सुधि लेई