*बुढ़ापे के फायदे (हास्य व्यंग्य)*
(कहानीकार) "मुंशी प्रेमचंद"
लम्हें संजोऊ , वक्त गुजारु,तेरे जिंदगी में आने से पहले, अपने
यूं तो रिश्तों का अंबार लगा हुआ है ,
मेरे वतन मेरे चमन तुझपे हम कुर्बान है
गर बिछड़ जाएं हम तो भी रोना न तुम
सत्य छिपकर तू कहां बैठा है।
जब टैली, एक्सेल, कोडिंग, या अन्य सॉफ्टवेयर व अन्य कार्य से म
आपकी बुद्धिमत्ता प्रकृति द्वारा दिया गया सबसे बड़ा इनाम है।
सिसकियाँ जो स्याह कमरों को रुलाती हैं।
*कुल मिलाकर आदमी मजदूर है*
सामाजिक बेचैनी का नाम है--'तेवरी' + अरुण लहरी
बंदूक से अत्यंत ज़्यादा विचार घातक होते हैं,
वीर रस
सूरज राम आदित्य (Suraj Ram Aditya)