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1 Apr 2024 · 1 min read

चिन्तन का आकाश

अनन्त-असीम है
चिन्तन का आकाश
कुछ बातें जेहन में
छोड़ जाती अहसास
सोचता हूँ कभी-कभी
धन्यवाद, आभार, शुक्रिया
जैसे शब्दों को आखिर
क्यों रचा गया होगा,
लगता है इंसान का हृदय
हर्ष से भर गया होगा।

(प्रकाशित कृति : ‘सच का टुकड़ा’ से)

डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति

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