Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Feb 2024 · 1 min read

धुंध में लिपटी प्रभा आई

धुंध में लिपटी प्रभा आई
कुहरे संग शीतलता लाई
पथ सुने तो कहीं ओस भरे
अलाव तापते लोग खड़े।

सर्द हवा ने रुख बदलाया
धरा ने नव्य रूप दिखलाया
सरसों,बथुआ,की हरियाली
गुड़हल की है रंगत निराली

नर शीतलता से आकुल हुए
सदन में ठहर व्याकुल हुए
निशी दीर्घ बेला ले आई
उज्जवला ने ली विदाई।

गेंदा,चमेली गुलाब महका
केवड़ा जासवंती संग बहका
मधुकर ने तब गुंजन सुनाई
सरोवर पे सुर्खाब दिखलाई।

फलों से लदी तरु की डाली
बैर,आँवला की छटा निराली
गाजर,सुरन, अमरूद,केले
गन्ना,सरसों,गराडू फैले।

विहग ने सुरीले गीत गाये
कलियों संग सुमन मुस्काये
गगन ने मोतियों की लड़ियाँ
चुनके वसुधा पर बिखराई।

✍️”कविता चौहान”
स्वरचित एवं मौलिक

99 Views

You may also like these posts

मंज़र
मंज़र
अखिलेश 'अखिल'
कभी फौजी भाइयों पर दुश्मनों के
कभी फौजी भाइयों पर दुश्मनों के
ओनिका सेतिया 'अनु '
*सुखद सवेरा*
*सुखद सवेरा*
*प्रणय*
*.....उन्मुक्त जीवन......
*.....उन्मुक्त जीवन......
Naushaba Suriya
हरी भरी तुम सब्ज़ी खाओ|
हरी भरी तुम सब्ज़ी खाओ|
Vedha Singh
"तुम ही"
Dr. Kishan tandon kranti
देखा है
देखा है
RAMESH Kumar
*वह बिटिया थी*
*वह बिटिया थी*
Mukta Rashmi
नए साल तुम ऐसे आओ!
नए साल तुम ऐसे आओ!
गौ नंदिनी डॉ विमला महरिया मौज
फर्क
फर्क
Shailendra Aseem
5. Festive Light
5. Festive Light
Ahtesham Ahmad
” असंतुष्टि की गाथा “
” असंतुष्टि की गाथा “
ज्योति
आधा अधूरा सा,थकान भरा तन,
आधा अधूरा सा,थकान भरा तन,
Seema gupta,Alwar
"जीवन का गूढ़ रहस्य"
Ajit Kumar "Karn"
मधुर जवानी
मधुर जवानी
Sunil Suman
मैं तेरे गले का हार बनना चाहता हूं
मैं तेरे गले का हार बनना चाहता हूं
Keshav kishor Kumar
We Would Be Connected Actually.
We Would Be Connected Actually.
Manisha Manjari
Gujarati Poetry | The best of Gujarati kavita & poet | RekhtaGujarati
Gujarati Poetry | The best of Gujarati kavita & poet | RekhtaGujarati
Gujarati literature
Cyclone Situation
Cyclone Situation
Otteri Selvakumar
स्वागत बा श्री मान
स्वागत बा श्री मान
आकाश महेशपुरी
हिंदी दिवस - विषय - दवा
हिंदी दिवस - विषय - दवा
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
2584.पूर्णिका
2584.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
* बताएं किस तरह तुमको *
* बताएं किस तरह तुमको *
surenderpal vaidya
आज़ाद पैदा हुआ आज़ाद था और आज भी आजाद है।मौत के घाट उतार कर
आज़ाद पैदा हुआ आज़ाद था और आज भी आजाद है।मौत के घाट उतार कर
Rj Anand Prajapati
तपाक से लगने वाले गले , अब तो हाथ भी ख़ौफ़ से मिलाते हैं
तपाक से लगने वाले गले , अब तो हाथ भी ख़ौफ़ से मिलाते हैं
Atul "Krishn"
झरोखे की ओट से
झरोखे की ओट से
अमित कुमार
पता ही नहीं चलता यार
पता ही नहीं चलता यार
पूर्वार्थ
शब्द
शब्द
Mahesh Jain 'Jyoti'
जंगल
जंगल
प्रकाश जुयाल 'मुकेश'
चलिये उस जहाँ में चलते हैं
चलिये उस जहाँ में चलते हैं
हिमांशु Kulshrestha
Loading...