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22 Feb 2024 · 1 min read

मैं

मैं चला दो कदम
मैं में बहकता गया ।
भूल गया था वो भी है
जिसके आगे सब टूट गया ।।

कितनों को भेज रहे हैं
छंद से टूट गया हूं मैं ।
सोचा मिल लूं उससे
पर मिला ही नहीं हूं मैं ।।

उनकी किताब के हर पन्ने पर
न जाने कितने शब्द बिखरे थे ।
मैं खुद को ढूंढ़ रहा था वहां
वो न जाने किसे ढूंढ़ रहे थे ।।

अब भी एहसास होता है
मैं कितना बेगर्द हो गया हूं।
देख नहीं पाता हूं खुद को
मैं इंसान मतलबी गया हूं ।।

Language: Hindi
1 Like · 82 Views
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