Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Mar 2024 · 1 min read

सत्य की खोज

बडा कठिन है सत्य को पाना,
है बड़ा कठिन यह तानाबाना ।
एक नहीं कई रूप दिखाए
इसको अब तक कोई न जाना ॥ 1 ॥

सत्य को मैनें खोजा भीतर ,
सत्य को मैने जाना जीकर ।
सत्य हलाहल सा है कड़वा,
शिव शंभु ने देखा पीकर ॥ 2 ॥

सत्य छिपे न कभी छिपाए,
सत्य वही जो सच दिखलाए
कोई बचा न सत्य के आगे,
अतिकोमल है सत्य के धागे ॥ 3 ॥

जो दिखता वह सत्य नहीं है,
है जो छिपा अब सत्य वही है
खोज निकालो सत्य जहाँ है,
कूच करो तुम सत्य जहाँ है ॥ 4 ॥

सत्य न चाहे आग्रह केवल ,
सत्य तो माँगे साहस और बल
सत्य है निर्मल जल की धारा ,
है सभी समस्याओं का हल ॥ 5 ॥

स्वरचित
तरुण सिंह पवार
शिक्षक

3 Likes · 165 Views

You may also like these posts

दिवाली मुबारक नई ग़ज़ल विनीत सिंह शायर
दिवाली मुबारक नई ग़ज़ल विनीत सिंह शायर
Vinit kumar
"नया दौर"
Dr. Kishan tandon kranti
ग़ज़ल _ आख़िरी आख़िरी रात हो ।
ग़ज़ल _ आख़िरी आख़िरी रात हो ।
Neelofar Khan
जाति और धर्म के मुद्दे इतने अधिक बलशाली हैं कि
जाति और धर्म के मुद्दे इतने अधिक बलशाली हैं कि
Sonam Puneet Dubey
- बंदिशे बहुत है -
- बंदिशे बहुत है -
bharat gehlot
भुजंग प्रयात छंद
भुजंग प्रयात छंद
Rambali Mishra
*चुनावी कुंडलिया*
*चुनावी कुंडलिया*
Ravi Prakash
ज़माने की निगाहों से कैसे तुझपे एतबार करु।
ज़माने की निगाहों से कैसे तुझपे एतबार करु।
Phool gufran
भोर
भोर
सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण'
आदमी कहलाता हूँ
आदमी कहलाता हूँ
Kirtika Namdev
विचारिए क्या चाहते है आप?
विचारिए क्या चाहते है आप?
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी "
गज़ल
गज़ल
Jai Prakash Srivastav
Ram
Ram
Sanjay ' शून्य'
अरे रामलला दशरथ नंदन
अरे रामलला दशरथ नंदन
Neeraj Mishra " नीर "
सड़क
सड़क
seema sharma
कभी हमको भी याद कर लिया करो
कभी हमको भी याद कर लिया करो
gurudeenverma198
सुन्दर फूलों के
सुन्दर फूलों के
surenderpal vaidya
खून के आंसू रोये
खून के आंसू रोये
Surinder blackpen
बचपन में…
बचपन में…
पूर्वार्थ
ग़ज़ल
ग़ज़ल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
जगत पराया प्रीत पराई
जगत पराया प्रीत पराई
VINOD CHAUHAN
2524.पूर्णिका
2524.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
मेरे जैसे तमाम
मेरे जैसे तमाम "fools" को "अप्रैल फूल" मुबारक।
*प्रणय*
दुआओं में जिनको मांगा था।
दुआओं में जिनको मांगा था।
Taj Mohammad
दोहे
दोहे
डॉ नवीन जोशी 'नवल'
कह मुकरियां
कह मुकरियां
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
मैं गर ठहर ही गया,
मैं गर ठहर ही गया,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
विश्व पुस्तक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।।
विश्व पुस्तक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।।
Lokesh Sharma
किसी बिस्तर पर ठहरती रातें
किसी बिस्तर पर ठहरती रातें
Shreedhar
​दग़ा भी उसने
​दग़ा भी उसने
Atul "Krishn"
Loading...