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19 Feb 2024 · 1 min read

ग़ज़ल

तुम हो तो अब सब सुंदर है ।
घर लगता है , अपना घर है ।

पायल भरकर ममता छलके,
बिछड़ी-सा लालित्य सुगर है ।

बिंदिया-सा व्यवहार दमकता,
कुमकुम-सा आदर्श प्रखर है ।

प्यार खनकता चूड़ी जैसा,
अंदर भी है और बाहर है ।

मधुर लगे बर्तन की खनखन,
झुमके की लटकन सुंदर है ।

सूत्र तेरे मंगल कारक हैं,
जिह्वा पर केवल आदर है ।

“ईश्वर” का ‘लक्ष्मी’ से नाता,
प्रलयकाल से अजर-अमर है ।
००००००
— ईश्वर दयाल गोस्वामी ।

Language: Hindi
3 Likes · 137 Views
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