Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 Feb 2024 · 1 min read

दिल

अजब इस दिल की फितरत है,कभी हंसता कभी रोता
हमारे ज़ख्म सारे आंसुओं की धार से धोता
इसी के दम पे चलती है हमारी जिंदगी पूरी
धड़कता ही रहे दिन रात इक पल भी नहीं सोता

डॉ अर्चना गुप्ता

Language: Hindi
Tag: मंच
7 Likes · 6 Comments · 1642 Views
Books from Dr Archana Gupta
View all

You may also like these posts

"मृतक" के परिवार को 51 लाख और "हत्यारे" को 3 साल की ख़ातिरदार
*प्रणय*
जब निहत्था हुआ कर्ण
जब निहत्था हुआ कर्ण
Paras Nath Jha
जिंदगी में मजाक करिए लेकिन जिंदगी के साथ मजाक मत कीजिए।
जिंदगी में मजाक करिए लेकिन जिंदगी के साथ मजाक मत कीजिए।
Rj Anand Prajapati
कौन दिल बहलाएगा?
कौन दिल बहलाएगा?
सुशील भारती
मां जो है तो है जग सारा
मां जो है तो है जग सारा
Jatashankar Prajapati
सफलता
सफलता
Dr. Pradeep Kumar Sharma
विश्वासघात
विश्वासघात
लक्ष्मी सिंह
"As the year ends, I'm not counting days. I'm counting lesso
पूर्वार्थ
पिता आख़िर पिता है
पिता आख़िर पिता है
Dr. Rajeev Jain
होली
होली
Madhuri mahakash
रक्षाबंधन की सभी भाई बहनों को हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाईयां
रक्षाबंधन की सभी भाई बहनों को हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाईयां
Neelofar Khan
ज़िंदगी आईने के
ज़िंदगी आईने के
Dr fauzia Naseem shad
चेहरे पे चेहरा (ग़ज़ल – विनीत सिंह शायर)
चेहरे पे चेहरा (ग़ज़ल – विनीत सिंह शायर)
Vinit kumar
मुझे लगता था —
मुझे लगता था —
SURYA PRAKASH SHARMA
यक़ीनन एक ना इक दिन सभी सच बात बोलेंगे
यक़ीनन एक ना इक दिन सभी सच बात बोलेंगे
Sarfaraz Ahmed Aasee
सावन का महीना
सावन का महीना
Dr. Vaishali Verma
Justice Delayed!
Justice Delayed!
Divakriti
राजतंत्र क ठगबंधन!
राजतंत्र क ठगबंधन!
Bodhisatva kastooriya
God O God
God O God
VINOD CHAUHAN
" कुछ लोग "
Dr. Kishan tandon kranti
दोहावली
दोहावली
मिथलेश सिंह"मिलिंद"
धनतेरस और रात दिवाली🙏🎆🎇
धनतेरस और रात दिवाली🙏🎆🎇
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
छोटी-छोटी बात पर ,
छोटी-छोटी बात पर ,
sushil sarna
*कलियुग*
*कलियुग*
Pallavi Mishra
यादों का कारवां
यादों का कारवां
Seema gupta,Alwar
हृदय का रंग
हृदय का रंग
Rambali Mishra
4205💐 *पूर्णिका* 💐
4205💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
आया नववर्ष
आया नववर्ष
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
लौ मुहब्बत की जलाना चाहता हूँ..!
लौ मुहब्बत की जलाना चाहता हूँ..!
पंकज परिंदा
*कुछ गुणा है कुछ घटाना, और थोड़ा जोड़ है (हिंदी गजल/ग
*कुछ गुणा है कुछ घटाना, और थोड़ा जोड़ है (हिंदी गजल/ग
Ravi Prakash
Loading...