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25 Jan 2024 · 1 min read

पत्थर

पत्थर के उपयोग भी बड़े अजीब होते हैं ,

कभी बच्चों के झगड़ों में सिरफुटौवल बनते हैं ,

कभी पुलिस के दमन से आक्रोशित जन समूह प्रतिकार का अस्त्र बनते हैं ,

कभी शासन द्वारा उपेक्षित सड़कों पर लुढ़कते आवारा रोड़े बनते हैं ,

कभी पहाड़ों के टूटने और खिसकने से आपदा का कारण बनते हैं ,

कभी आतंकवादियों के हाथों कठपुतली बने सरफिरे युवाओं के कुत्सित मंतव्यों का साधन बन जाते हैं ,

कभी शिल्पकार की अप्रतिम अभिव्यक्ति बन यादगार बन जाते हैं ,

कभी आस्था के स्वरुप बने मंदिरों में पूजे जाते हैं ,

कभी विभिन्न प्रायोजित रूप लिए जीवन यापन का साधन बन जाते हैं ,

कभी साधनों के विकास एवं निर्माण कार्यों में अपनी प्रमुख भूमिका निभाते है ,

कभी प्राचीन एवं अर्वाचीन सभ्यता एवं संस्कृति की पहचान बनते हैं ,

कभी अपने ऊपर उकेरी गई चित्रकला एवं भाषा से इतिहास लिख जाते हैं ,

कभी मील का पत्थर बने भटकों को राह दिखाते हैं ,

कभी अपने अंतः समाहित खनिज संपदा का स्रोत बनते हैं ,

कभी अपनी कठोरता से अप्रत्याशित मृत्यु का कारण बन जाते है ,

पत्थर का गुण एवं उसका अस्तित्व उसके प्रयोजनप्रज्ञ प्रयोग पर निर्भर है ,
उसका कल्याणकारी या विनाशकारी रूप मनुष्य की मनोवृत्ति पर निर्भर है ।

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