गणतंत्र दिवस के पावन पर्व पर मंच को समर्पित …
गणतंत्र दिवस के पावन पर्व पर मंच को समर्पित …
आजादी के पावन पर्व पर
तिरंगा हम फहराते हैं
देश पे मर मिटने को यारो
लाखों कसमें खाते हैं
चंद पुष्प समर्पित करके हम
वीरों की तस्वीरों पर
बस शीश झुका कर उनके आगे
अपना फर्ज़ निभाते हैं
आजादी के पावन पर्व पर…..
देखो वीर जवानों को
जो देश की लाज बचाते हैं
लड़ते-लड़ते वो सीमा पर
इक यादगार बन जाते हैं
इक तरफ यहाँ पर देश के अंदर
भ्रष्टाचार का तांडव है
बन के मसीहा देश के अंदर
देश को लूट के खाते हैं
आजादी के पावन पर्व पर ….
हैं गलियाँ अब भी वही
जहाँ पर आजादी के नारे थे
जन्म भूमि के लिए जहाँ पर
बहे खून के धारे थे
आती नहीं आवाजें अब क्यों
रंग दे बसंती चोले की
कुर्सी के लिए अब जीते हैं
कुर्सी के लिए मर जाते हैं
आजादी के पावन पर्व पर
तिरंगा हम फहराते हैं
देश पे मर मिटने को यारो
लाखों कसमें खाते हैं,लाखों कसमें खाते हैं…..
सुशील सरना