बादलों की, ओ.. काली..! घटाएं सुनो।
पैसा है मेरा यार, कभी साथ न छोड़ा।
मासूम शैशव पुनीत रहे
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
सितारों से सजी संवरी एक आशियाना खरीदा है,
मैंने प्रेम किया और प्रेम को जिया भी।
मृदा प्रदूषण घातक है जीवन को
*आठ माह की अद्वी प्यारी (बाल कविता)*
जिस दौलत के हेतु सब,किये पाप संगीन
माँ को दिवस नहीं महत्व चाहिए साहिब
खामोशी इबादत है ,सब्र है, आस है ,
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'