Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Jan 2024 · 1 min read

* तुगलकी फरमान*

सोच रहा हूं बैठकर,
कौन बनाता है यह, अजीबो गरीब तुगलकी फरमान?
जिसमें न सहूलियत आम जनता की,
न चिंता, न दुःख दर्द का एहसास,
न जमीन से जुड़ी हकीकत,
न कर्मचारियों की बात।
कहीं लोकतंत्र में तानाशाही की बू तो नहीं?
या सलाहकार होशियार है,
या एसी में जाड़े गर्मी का कोई पता नहीं।
नियम बनाए ही क्यों जाते हैं,
तुरंत बदलने के लिए,
गरीब आम जनता कर्मचारियों को,
परेशान करने के लिए,
आकाओ की हां में हां करने के लिए,
या फिर जनता में खलबली,
अपनी वाह वाही करने के लिए,
खुद दुष्यन्त कुमार है इस बात से परेशान,
कौन बनाता है यह, अजीबोगरीब तुगलकी फरमान।।

1 Like · 153 Views
Books from Dushyant Kumar
View all

You may also like these posts

घुली अजब सी भांग
घुली अजब सी भांग
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
कोरोना काल मौत का द्वार
कोरोना काल मौत का द्वार
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
भोर पुरानी हो गई
भोर पुरानी हो गई
आर एस आघात
ज़माने की ख़राबी न देखो अपनी आंखों से,
ज़माने की ख़राबी न देखो अपनी आंखों से,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
कविता
कविता
Rambali Mishra
*pyramid*
*pyramid*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
सभी के स्टेटस मे 9दिन माँ माँ अगर सभी के घर मे माँ ख़ुश है तो
सभी के स्टेटस मे 9दिन माँ माँ अगर सभी के घर मे माँ ख़ुश है तो
Ranjeet kumar patre
गांव
गांव
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
देख विस्तार , काँपने लगे हम....
देख विस्तार , काँपने लगे हम....
sushil yadav
कफन
कफन
Mukund Patil
नारी
नारी
Arvina
अक्सर कोई तारा जमी पर टूटकर
अक्सर कोई तारा जमी पर टूटकर
'अशांत' शेखर
*
*"मां चंद्रघंटा"*
Shashi kala vyas
पधारे दिव्य रघुनंदन, चले आओ चले आओ।
पधारे दिव्य रघुनंदन, चले आओ चले आओ।
सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण'
..
..
*प्रणय*
बदसलूकी
बदसलूकी
Minal Aggarwal
कब हमको ये मालूम है,कब तुमको ये अंदाज़ा है ।
कब हमको ये मालूम है,कब तुमको ये अंदाज़ा है ।
Phool gufran
छंद मुक्त कविता : विघटन
छंद मुक्त कविता : विघटन
Sushila joshi
ख़्वाब में हमसे मिल कभी आके ,
ख़्वाब में हमसे मिल कभी आके ,
Dr fauzia Naseem shad
विजेता सूची- “सत्य की खोज” – काव्य प्रतियोगिता
विजेता सूची- “सत्य की खोज” – काव्य प्रतियोगिता
Sahityapedia
अपने घर में हूँ मैं बे मकां की तरह मेरी हालत है उर्दू ज़बां की की तरह
अपने घर में हूँ मैं बे मकां की तरह मेरी हालत है उर्दू ज़बां की की तरह
Sarfaraz Ahmed Aasee
कलिपुरुष
कलिपुरुष
Sanjay ' शून्य'
नलिनी छंद /भ्रमरावली छंद
नलिनी छंद /भ्रमरावली छंद
Subhash Singhai
Could you confess me ?
Could you confess me ?
डॉ कुलदीपसिंह सिसोदिया कुंदन
सुशील कुमार मोदी जी को विनम्र श्रद्धांजलि
सुशील कुमार मोदी जी को विनम्र श्रद्धांजलि
विक्रम कुमार
*रोते बूढ़े कर रहे, यौवन के दिन याद ( कुंडलिया )*
*रोते बूढ़े कर रहे, यौवन के दिन याद ( कुंडलिया )*
Ravi Prakash
प्रेम
प्रेम
Acharya Rama Nand Mandal
शिक्षक जब बालक को शिक्षा देता है।
शिक्षक जब बालक को शिक्षा देता है।
Kr. Praval Pratap Singh Rana
धर्म आज भी है लोगों के हृदय में
धर्म आज भी है लोगों के हृदय में
Sonam Puneet Dubey
हमको लगता है बेवफाई से डर....
हमको लगता है बेवफाई से डर....
Jyoti Roshni
Loading...