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6 Jan 2024 · 1 min read

* संसार में *

** गीतिका **
~~
हर तरह के लोग हैं संसार में।
किन्तु है आनंद केवल प्यार में।

पास आएं और बतियाएं सहज।
है मजा देखो बहुत इजहार में।

पालना कर्तव्य की कर लें अगर।
है अहं बस कुछ नहीं अधिकार में।

स्वार्थ साधन ही रहा है लक्ष्य निज।
लोग है़ बैठे हुए सरकार में।

फर्क कहने और करने में बहुत।
सब दिखा करता मगर व्यवहार में।

कर रहे हैं सब प्रतीक्षा देखिए।
चाहते जाना सभी उस पार में।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
-सुरेन्द्रपाल वैद्य, ०६/०१/२०२४

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