मित्रता का मेरा हिसाब–किताब / मुसाफिर बैठा
प्रकृति की सुंदरता" (Beauty of Nature):
महाकाल के भक्त है अंदर से सशक्त है।
पुरानी सोच के साथ हम किसी नये स्तर पर नहीं जा सकते, हमें समय
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
कुछ फूल तो कुछ शूल पाते हैँ
हैं तुझी से शुरू , तुझ पर ख़त्म
वो लम्हे जैसे एक हज़ार साल की रवानी थी
जुमर-ए-अहबाब के बीच तेरा किस्सा यूं छिड़ गया,
इन्द्रिय जनित ज्ञान सब नश्वर, माया जनित सदा छलता है ।