रक्तदान पर कुंडलिया
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
"I'm someone who wouldn't mind spending all day alone.
नाथ मुझे अपनाइए,तुम ही प्राण आधार
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रूस्वा -ए- ख़ल्क की खातिर हम जज़्ब किये जाते हैं ,
बात उनकी कभी टाली नहीं जाती हमसे
मां वो जो नौ माह कोख में रखती और पालती है।
ग़ज़ल _ मुहब्बत के दुश्मन मचलते ही रहते ।