Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Oct 2023 · 1 min read

Yaade tumhari satane lagi h

Yaade tumhari satane lagi h
Vo baate sari yaad aane lagi h
Socha nhi tha tum aise bichhdogi
Ye judai ab andar se khane lagi h

312 Views

You may also like these posts

मन में क्यों भरा रहे घमंड
मन में क्यों भरा रहे घमंड
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
मन ही मन घबरा रहा था।
मन ही मन घबरा रहा था।
manorath maharaj
रौशनी का गुलाम
रौशनी का गुलाम
Vivek Pandey
..
..
*प्रणय*
ॐ शिव शंकर भोले नाथ र
ॐ शिव शंकर भोले नाथ र
Swami Ganganiya
तेवरी
तेवरी
कवि रमेशराज
"ऐ मुसाफिर"
Dr. Kishan tandon kranti
कोई होटल की बिखरी ओस में भींग रहा है
कोई होटल की बिखरी ओस में भींग रहा है
Akash Yadav
बस हौसला करके चलना
बस हौसला करके चलना
SATPAL CHAUHAN
आज़ महका महका सा है सारा घर आंगन,
आज़ महका महका सा है सारा घर आंगन,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
नववर्ष का नव उल्लास
नववर्ष का नव उल्लास
Lovi Mishra
बेकसूर तुम हो
बेकसूर तुम हो
SUNIL kumar
" कैसा हूँ "
Dr Mukesh 'Aseemit'
वो ज़ख्म जो दिखाई नहीं देते
वो ज़ख्म जो दिखाई नहीं देते
shabina. Naaz
‼️ग़ज़ल‼️
‼️ग़ज़ल‼️
navneetchaudhary7788
2674.*पूर्णिका*
2674.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
वेला
वेला
Sangeeta Beniwal
दु:ख का रोना मत रोना कभी किसी के सामने क्योंकि लोग अफसोस नही
दु:ख का रोना मत रोना कभी किसी के सामने क्योंकि लोग अफसोस नही
Ranjeet kumar patre
बस जाओ मेरे मन में , स्वामी होकर हे गिरधारी
बस जाओ मेरे मन में , स्वामी होकर हे गिरधारी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
दोहा पंचक. . . . . नटखट दोहे
दोहा पंचक. . . . . नटखट दोहे
sushil sarna
हर गली में ये मयकदा क्यों है
हर गली में ये मयकदा क्यों है
प्रीतम श्रावस्तवी
काली रजनी
काली रजनी
उमा झा
मेरे अल्फ़ाज़
मेरे अल्फ़ाज़
Dr fauzia Naseem shad
*जन्मभूमि में प्राण-प्रतिष्ठित, प्रभु की जय-जयकार है (गीत)*
*जन्मभूमि में प्राण-प्रतिष्ठित, प्रभु की जय-जयकार है (गीत)*
Ravi Prakash
"मुश्किल वक़्त और दोस्त"
Lohit Tamta
जब घर से दूर गया था,
जब घर से दूर गया था,
भवेश
- बेहतर की तलाश -
- बेहतर की तलाश -
bharat gehlot
*तपन*
*तपन*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
झूठ का दामन चाक किया,एक हकीकत लिख आए। चाहत के मोती लेकर एहसास की कीमत लिख आए। प्यार की खुशबू,इश्क ए कलम से,खत में लिखकर भेजा है।
झूठ का दामन चाक किया,एक हकीकत लिख आए। चाहत के मोती लेकर एहसास की कीमत लिख आए। प्यार की खुशबू,इश्क ए कलम से,खत में लिखकर भेजा है। "सगीर" तितली के पंखों पर हम अपनी मोहब्बत लिख आए।
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
हमारे गीत ये सुनकर
हमारे गीत ये सुनकर
gurudeenverma198
Loading...