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27 Oct 2023 · 1 min read

लिबास दर लिबास बदलता इंसान

लिबास दर लिबास बदलता इंसान
ख़ुद को भी बस मोहरा बनाता इंसान
इतना ना समझ तो नहीं है तू
फिर क्यों गैरों की बातों में आता इंसान।

हरमिंदर कौर ,अमरोहा

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