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27 Oct 2023 · 1 min read

” मानस मायूस “

” मानस मायूस ”
त्योहारों की रौनक पड़ गई फीकी
सजने संवरने का वो अंदाज खोया
गली मोहल्लों की चकाचौंध काली
ना ही चाव करते आज वो बच्चे रहे,
बचपन में फूलों वाली कोमलता नहीं
करने लगे हैं बड़ों का सा ही व्यवहार
बधाई और गम भी तो डिजिटल बने
ना ही भावनाओं में परिवारजन बहें,
फेसबुक, इंस्टाग्राम की बहार है छाई
मेरे प्यारे देशवासियों का टैग लगाते
देखा देखी से बढ़ गई है सबकी पहुंच
ना ही कोई आजकल टोरा फोरी सहे,
बढ़ने लगी है आज सबकी जानकारी
मोबाईल पर काम फट से निपटा लेते
आम आदमी बनकर कोई नहीं रहता
हर कोई खुद को आदमी खास कहे।

Language: Hindi
1 Like · 164 Views
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