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30 Sep 2023 · 1 min read

शीर्षक:कौन कहता हैं कि..?

शीर्षक: कौन कहता है कि…?

कौन कहता हैं कि दिल में
अलमारी सी नही होती
मैं तो कहती हूँ कि होती तो हैं
एक बड़ी सी अलमारी उसी में ही तो
सहेज कर रख दिये जाते हैं यादों के पल
वायदों के क्षण,कुछ पुराने धूमिल से वाक़ये
कौन कहता है कि…?
उसी में बसे बैठे हैं मेरे बचपन के अहसास
वो पापा-माँ का दुलार और मनुहार
मेरी एक चाहत पर सब कुछ देने के वो अरमां
दोस्तो के साथ बिताए वो हर क्षण जो
दे देते हैं आज भी वही ताजगी यादों में
वही शतानियाँ आज भी अभी की सी लगती हैं
कौन कहता हैं कि…?
वो वादों इरादों के पल कब हुए धूमिल
सहेज कर रखे हैं आज भी दिल की अलमारी में
तुम्हारी वो चाहत इबादत याद हैं
खोजती हूँ कभी दिल की अलमारी से तो
वो अहसास पुनः हो जाते हैं जीवित से
और हो जाती हैं मानो तुम्ही से मुलाकात
कौन कहता हैं कि…?

डॉ मंजु सैनी
गाज़ियाबाद

Language: Hindi
1 Like · 154 Views
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