Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 Nov 2023 · 3 min read

त्यौहार

त्यौहार
श्यामा आज काफी खुश थी क्योंकि आज दीवाली का त्योहार जो था, वो सोच रही थी आज झट से काम खत्म करके मालकिन से दीवाली का गिफ्ट लेकर अपने घर जाऊंगी और वहां अपने बच्चों के साथ दीवाली मनाऊंगी।

यही सब सोचकर उसने किचन का सारा काम जल्दी जल्दी निपटा दिया और फिर झाड़ू पोंछा लगाने लगी, कि तभी उसकी मालकिन मिसेज मेहता आई और एक नया ऑर्डर फरमा दिया।

मिसेज मेहता: (अपनी रौबदार आवाज में)एरी श्यामा सुन!…… इधर का सारा काम समेटने के बाद कपड़े भी धो देना……. मुझे दीवाली के त्योहार के मौके पर गंदे कपड़े नहीं रखने हैं घर में…….

श्यामा :(थोड़ा उदास होकर) जी मेमसाब……

अब श्यामा झाड़ू पोंछा लगाते हुए मन ही मन मेमसाब को कोसते हुए सोचने लगी कहां मैने सोचा था कि आज त्योहार है तो जल्दी घर जाऊंगी और बच्चों के साथ उत्सव मनाऊंगी लेकिन ये औरत है कि काम पर काम दिए जा रही है।

इसको कुछ सोच समझ है भी कि नहीं, या फिर ये सोचती है कि त्योहार उत्सव सिर्फ इन्हीं के लिए है ये हम जैसे छोटे लोगों के लिए नहीं होते। ऐसे मन ही मन कुडबुड़ाते हुए अब उसने झाड़ू पोंछा का काम खत्म करके बाथरूम में चले गई और कपड़े धोने लगी।

कुछ देर में वो काम भी खत्म करके श्यामा अब हाथ मुंह धोकर अपने पल्लू से चेहरा पोछते हुए तैयार हो गई थी अपनी मालकिन से दीवाली गिफ्ट लेकर अपने घर जाने के लिए।

श्यामा : मेमसाब मैं जा रही……

मिसेज मेहता : हां तो जा न……और सुन शाम को जरा जल्दी आ जाना…..दीवाली का त्योहार है तो घर में बहुत काम होगा…

श्यामा : (चौंक कर) लेकिन मेमसाब! मैं तो सोच रही थी आज शाम नहीं आऊंगी….वो दीवाली है न तो बच्चों के साथ……

मिसेज मेहता :(श्यामा की बात को बीच में ही काटकर) अरे नहीं आयेगी का क्या मतलब…… दीवाली में इतना काम रहेगा कौन करेगा ये सब…… मैं कुछ नहीं जानती तू आ जाना बस….

श्यामा :(ज्यादा कुछ नहीं बोलते हुए) मेमसाब…… मेरा दीवाली का गिफ्ट…….

मिसेज मेहता: हां हां!….. लेकिन अभी नहीं शाम को आएगी तब सोचूंगी……

अब श्यामा आगे कुछ न बोल सकी और चुपचाप दरवाजे से बाहर निकलकर अपने घर की ओर चलने लगी, रास्ते भर आंसू बहाते हुए वो यही सोचते जा रही थी कि अपने मासूम बच्चों को वो क्या मुंह दिखाएगी, त्यौहार में क्या वो उन्हें मिठाई और कपड़े भी नहीं दे पाएगी, क्या ये त्योहार उत्सव सिर्फ अमीरों के लिए ही बने हैं, हम छोटे लोगों का हक नहीं बनता कि हम भी अपने परिवार के साथ ये त्योहार मनाएं।

“अमीर हों या गरीब ईश्वर ने त्यौहार पर्व सभी के लिए बनाएं हैं जिसमें खुशियां पाने का हक सभी को एक समान है। अमीर और सम्पन्न वर्ग को चाहिए कि गरीबों की थोड़ी मदद करके इनके साथ कुछ खुशियां बांटे जिससे वे भी अपने परिवार के साथ त्यौहार मनाकर कुछ खुशियां पा सकें, लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा हो नहीं पाता और त्यौहारों में अमीर जहां खुशियां मनाते रहते हैं तो गरीब उन्हें देखकर अपनी लाचारी और बदकिस्मती पर आंसू बहाते हैं।”
✍️मुकेश कुमार सोनकर “सोनकरजी”
रायपुर,छत्तीसगढ़

2 Likes · 348 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

जमाना चला गया
जमाना चला गया
Pratibha Pandey
*अपने करते द्वेष हैं, अपने भीतरघात (कुंडलिया)*
*अपने करते द्वेष हैं, अपने भीतरघात (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
तिरे रूह को पाने की तश्नगी नहीं है मुझे,
तिरे रूह को पाने की तश्नगी नहीं है मुझे,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
क्युँ हरबार ये होता है ,
क्युँ हरबार ये होता है ,
Manisha Wandhare
है हार तुम्ही से जीत मेरी,
है हार तुम्ही से जीत मेरी,
कृष्णकांत गुर्जर
प्लास्टिक प्रदूषण घातक है
प्लास्टिक प्रदूषण घातक है
Buddha Prakash
आज जगा लें अंतःकरण।
आज जगा लें अंतःकरण।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
!!! होली आई है !!!
!!! होली आई है !!!
जगदीश लववंशी
हमारी प्यारी मां
हमारी प्यारी मां
Shriyansh Gupta
औरत.....
औरत.....
sushil sarna
बुढ़ापा आता है सबको, सभी एहसास करते हैं ! उम्र जब ढ़लने लगती ह
बुढ़ापा आता है सबको, सभी एहसास करते हैं ! उम्र जब ढ़लने लगती ह
DrLakshman Jha Parimal
संसार चलाने में
संसार चलाने में
Ankita Patel
सुलेख
सुलेख
Rambali Mishra
*पर्यावरण दिवस * *
*पर्यावरण दिवस * *
Dr Mukesh 'Aseemit'
बहुत मुश्किल होता हैं, प्रिमिकासे हम एक दोस्त बनकर राहते हैं
बहुत मुश्किल होता हैं, प्रिमिकासे हम एक दोस्त बनकर राहते हैं
Sampada
विवाहोत्सव
विवाहोत्सव
Acharya Rama Nand Mandal
कलम कहती है सच
कलम कहती है सच
Kirtika Namdev
सोच का अंतर
सोच का अंतर
मधुसूदन गौतम
''तू-मैं इक हो जाएं''
''तू-मैं इक हो जाएं''
शिव प्रताप लोधी
"बदलाव"
Dr. Kishan tandon kranti
किसी तरह मां ने उसको नज़र से बचा लिया।
किसी तरह मां ने उसको नज़र से बचा लिया।
Phool gufran
नयन प्रेम के बीज हैं,नयन प्रेम -विस्तार ।
नयन प्रेम के बीज हैं,नयन प्रेम -विस्तार ।
डॉक्टर रागिनी
तेरे बिना जीने का कोई अर्थ ही नहीं है!
तेरे बिना जीने का कोई अर्थ ही नहीं है!
Ajit Kumar "Karn"
भावुक हुए बहुत दिन हो गये..
भावुक हुए बहुत दिन हो गये..
Suryakant Dwivedi
रचना
रचना
Mukesh Kumar Rishi Verma
Right to select
Right to select
Shashi Mahajan
3303.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3303.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
कभी भी दूसरो की बात सुनकर
कभी भी दूसरो की बात सुनकर
Ranjeet kumar patre
”ज़िन्दगी छोटी नहीं होती
”ज़िन्दगी छोटी नहीं होती
शेखर सिंह
मेरी सिया प्यारी को देखा अगर
मेरी सिया प्यारी को देखा अगर
Baldev Chauhan
Loading...