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17 Sep 2023 · 1 min read

Ghazal

صنف نازک بھی ہے بے باک بھی ہے
خوبصورت ہے خطرناک بھی ہے

چشم حیرت ہے تجسس کی قسم
سادگی آنکھ کی گستاخ بھی ہے

دیکھئے خوب نظر بھر کے فقط
حسن معصوم ہے چالاک بھی ہے

آنکھ روشن ہے چمک ہے ان میں
دامن یار مگر چاک بھی ہے

جنبشیں گرد کے رسوا ٹھریں
حرب فتنہ سے مگر پاک بھی ہے

لوگ کہتے ہیں برا شائر کو
اس کی غزلوں کی مگر دھاک بھی ہے

عشق ناداں سے خفا ہے یاروں
شاہ دانا ہے مگر خاک بھی ہے

सिन्फे नाज़ुक भी है बेबाक भी है
ख़ूब सूरत है ख़तरनाक भी है

चश्मे हैरत है तजस्सुस की कसम
सादगी आंख की गुस्ताख़ भी है

देखिये ख़ूब नज़र भर के फ़क़त
हुस्ने मासूम है चालाक भी है

आंख रौशन है चमक है इनमें
दामने यार मगर चाक भी है

जुंबिशे गर्द के रुस्वा ठहरीं
हरबे फ़ितना से मगर पाक भी है

लोग कहते हैं बुरा शाइर को
उसकी ग़ज़लों की मगर धाक भी है

इश्क़ नादां से ख़फा़ है यारों
शाह# दाना है मगर ख़ाक भी है

शहाब उद्दीन शाह क़न्नौजी

Language: Hindi
Tag: Poem
2 Likes · 197 Views
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