मैं झूठा हूँ, भीतर से टूटा हूँ।
There's nothing wrong with giving up on trying to find the a
ख़ाइफ़ है क्यों फ़स्ले बहारांँ, मैं भी सोचूँ तू भी सोच
मुहब्बत इम्तिहाँ लेती है...
!! चुनौती !!
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
हिन्दीग़ज़ल में कितनी ग़ज़ल? -रमेशराज
*साम्ब षट्पदी---*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
खिला हूं आजतक मौसम के थपेड़े सहकर।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
माँ की ममता,प्यार पिता का, बेटी बाबुल छोड़ चली।
एक पुरुष जब एक महिला को ही सब कुछ समझ लेता है या तो वह बेहद
क़िस्मत हमारी ख़ुद के ही पहलू से आ मिली