Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Aug 2023 · 1 min read

प्रियतमा

पट अपनी घुंघट के अब खोल प्रिये
आज प्रणय जीवन के प्रथम निशा में
नूपुर क्वणन सा मीठे बोल को सुन
अब मेरे मन में जाग रही है तृष्णा
दो बोल प्यार के बोल कर ही तुम
प्रिये मुझको अधरों का पान करा दे

था प्रेम कभी विषय जब सपनों का
दिन का क्षण भी रात हुआ करता था
आज बैठ पिया के मुख आगे तुम
मेरे नयनों में अपने नयनों को डालो
अपने अधरों के मीठे रस से ही तुम
प्रिये मुझको प्रेम स्नान करा दे

नजर उठा जब नयनों से तो तुम
गुल लगती हो किसी गुलशन के
थक चुका हूॅं मन बोझिल है मेरा
बढ़ सकूॅंगा ना आगे एक कदम भी
सिर रखकर अपनी गोद में ही तुम
प्रिय मुझको वहीं विश्राम करा दे

आज हमारे कोमल स्पर्श मात्र से ही
सम्पूर्ण कान्तिमय हो जाएगी तुम
अच्छा होगा अब भूलकर सभी को
अपनी स्मृति में सिर्फ मुझे समा तुम
सुकोमल इस प्राकृतिक सौन्दर्य का
प्रिय मुझको दर्शन हर शाम करा दे

Language: Hindi
245 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Paras Nath Jha
View all

You may also like these posts

*गुरु (बाल कविता)*
*गुरु (बाल कविता)*
Ravi Prakash
जब हम गरीब थे तो दिल अमीर था
जब हम गरीब थे तो दिल अमीर था "कश्यप"।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
जिंदगी के रंगों को छू लेने की,
जिंदगी के रंगों को छू लेने की,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
सब छोड़ कर चले गए हमें दरकिनार कर के यहां
सब छोड़ कर चले गए हमें दरकिनार कर के यहां
VINOD CHAUHAN
चाहिए
चाहिए
Punam Pande
कठिन समय रहता नहीं
कठिन समय रहता नहीं
Atul "Krishn"
रास्ते और राह ही तो होते है
रास्ते और राह ही तो होते है
Neeraj Kumar Agarwal
तेरी खुशी से है खुशी,
तेरी खुशी से है खुशी,
श्याम सांवरा
मां नर्मदा प्रकटोत्सव
मां नर्मदा प्रकटोत्सव
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
पाँच हाइकु
पाँच हाइकु
अरविन्द व्यास
भक्ति गीत
भक्ति गीत
Arghyadeep Chakraborty
ख़ुद को
ख़ुद को
Dr fauzia Naseem shad
आसां  है  चाहना  पाना मुमकिन नहीं !
आसां है चाहना पाना मुमकिन नहीं !
Sushmita Singh
" वो क़ैद के ज़माने "
Chunnu Lal Gupta
।।अथ सत्यनारायण व्रत कथा पंचम अध्याय।।
।।अथ सत्यनारायण व्रत कथा पंचम अध्याय।।
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
इंसानियत
इंसानियत
साहित्य गौरव
" ऐ मेरे हमदर्द "
Dr. Kishan tandon kranti
घर हो तो ऐसा
घर हो तो ऐसा
Dr. Pradeep Kumar Sharma
- हम कोशिश करेंगे -
- हम कोशिश करेंगे -
bharat gehlot
जय मां शारदे
जय मां शारदे
Harminder Kaur
इंडिया दिल में बैठ चुका है दूर नहीं कर पाओगे।
इंडिया दिल में बैठ चुका है दूर नहीं कर पाओगे।
सत्य कुमार प्रेमी
అమ్మా దుర్గా
అమ్మా దుర్గా
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
यह कौनसा मोड़ आया ?
यह कौनसा मोड़ आया ?
Abasaheb Sarjerao Mhaske
भूल गए हैं
भूल गए हैं
आशा शैली
3822.💐 *पूर्णिका* 💐
3822.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
एक अधूरी नज़्म
एक अधूरी नज़्म
Kanchan Advaita
जनता  जाने  झूठ  है, नेता  की  हर बात ।
जनता जाने झूठ है, नेता की हर बात ।
sushil sarna
ऐसे रूठे हमसे कि कभी फिर मुड़कर भी नहीं देखा,
ऐसे रूठे हमसे कि कभी फिर मुड़कर भी नहीं देखा,
Kanchan verma
तुम्हारा स्पर्श
तुम्हारा स्पर्श
पूनम 'समर्थ' (आगाज ए दिल)
..
..
*प्रणय*
Loading...