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25 Jul 2023 · 1 min read

“सन्नाटे का अस्तित्व”

वो बूढ़ा आदमी
जोर-जोर से चिल्लाता था,
कुछ बड़बड़ाता
तो कभी आवाज लगाता था,
मगर लोगों की समझ में
कुछ भी नहीं आता था।

एक बार मैंने
उसके पड़ोस में रहने वाले
एक शख्स से पूछा
आखिर वो बूढ़ा आदमी
क्या चाहता, क्या कहता?

उस शख्स की बात सुनकर
मैं दंग रह गया
कि सन्नाटे का अस्तित्व
इतना भारी हो सकता है,
उसका भयानकपन
इतनी बेकरारी दे सकता है?

जीवन साथी के गुजर जाने से
उम्र के अन्तिम पड़ाव में
अकेलापन और सन्नाटा
उस बूढ़े को इस कदर डराता था,
कि सन्नाटे को चीरने के लिए
वो जोर-जोर से चिल्लाता था।

(सत्य घटना पर आधारित)

-डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
वर्ष 2022-23 के लिए
भारत भूषण सम्मान प्राप्त।

Language: Hindi
8 Likes · 6 Comments · 176 Views
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