युँ खुश हूँ मैं जिंदगी में अपनी ,
ये शिकवे भी तो, मुक़द्दर वाले हीं कर पाते हैं।
सफर में चाहते खुशियॉं, तो ले सामान कम निकलो(मुक्तक)
दूर जा चुका है वो फिर ख्वाबों में आता है
प्रेम करना हमेशा से सरल ही रहा है,कुछ कठिन रहा है
भोर सुहानी हो गई, खिले जा रहे फूल।
ये तुझे पा लेने की चाहत ही है।
रिश्ता कभी खत्म नहीं होता
वक़्त की रफ़्तार
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }