Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 May 2023 · 1 min read

ज़िन्दगी…!

ज़िन्दगी के इस सफर में
हर दिन एक नया मोड़ आया
अपनों ने छोड़ा साथ हमारा
तो गैरों ने गले लगाया
जीवन की इस पहेली को
सहज-सहज हमने सुलझाया!

आगे बढ़ने की ललक में
अपनों तक से बिछड़ जाते है
गाँव से शहर तक की दूरी भी अब
कुछ घंटे में तय कर जाते है,
जीवन की इस पहेली को भला
लोग कैसे कैसे सुलझाते है!

सुबह के निकले मुसाफिर
सांझ ढले लौटकर आते हैं
भाग दौर भरी इस ज़िन्दगी में
फिर सुकून की नींद भी कहा पाते हैं,
पर तय है ये,
हर संघर्षी अपने जीवन में
अपनी एक अलग पहचान बनाते हैं!

गरिमा प्रसाद🥀

Language: Hindi
2 Likes · 1 Comment · 182 Views

You may also like these posts

24/248. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
24/248. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
" आज़ का आदमी "
Chunnu Lal Gupta
मजबूत इरादे मुश्किल चुनौतियों से भी जीत जाते हैं।।
मजबूत इरादे मुश्किल चुनौतियों से भी जीत जाते हैं।।
Lokesh Sharma
ग़ज़ल(गुलाबों से तितली करे प्यार छत पर —)————————–
ग़ज़ल(गुलाबों से तितली करे प्यार छत पर —)————————–
डॉक्टर रागिनी
एक दीप हर रोज जले....!
एक दीप हर रोज जले....!
VEDANTA PATEL
'माटी मेरे गाँव की'
'माटी मेरे गाँव की'
Godambari Negi
घने तिमिर में डूबी थी जब..
घने तिमिर में डूबी थी जब..
Priya Maithil
दिवस पुराने भेजो...
दिवस पुराने भेजो...
Vivek Pandey
सावन
सावन
Rambali Mishra
भावात्मक
भावात्मक
Surya Barman
..
..
*प्रणय*
जीते जी होने लगी,
जीते जी होने लगी,
sushil sarna
यूं न इतराया कर,ये तो बस ‘इत्तेफ़ाक’ है
यूं न इतराया कर,ये तो बस ‘इत्तेफ़ाक’ है
Keshav kishor Kumar
शीर्षक:-मित्र वही है
शीर्षक:-मित्र वही है
राधेश्याम "रागी"
thanhthienphu
thanhthienphu
Thanh Thiên Phú
"Awakening by the Seashore"
Manisha Manjari
10. जिंदगी से इश्क कर
10. जिंदगी से इश्क कर
Rajeev Dutta
ज़िन्दगी मत रुला हम चले जाएंगे
ज़िन्दगी मत रुला हम चले जाएंगे
अंसार एटवी
बुंदेली दोहा-गर्राट
बुंदेली दोहा-गर्राट
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
माटी
माटी
MUSKAAN YADAV
दीपक
दीपक
SURYA PRAKASH SHARMA
प्रेम पथिक
प्रेम पथिक
Jai Prakash Srivastav
होके रुकसत कहा जाओगे
होके रुकसत कहा जाओगे
Awneesh kumar
मुझे इंतजार है , इंतजार खत्म होने का
मुझे इंतजार है , इंतजार खत्म होने का
Karuna Goswami
आजकल के समाज में, लड़कों के सम्मान को उनकी समझदारी से नहीं,
आजकल के समाज में, लड़कों के सम्मान को उनकी समझदारी से नहीं,
पूर्वार्थ
मनोकामना
मनोकामना
Mukesh Kumar Sonkar
दोहा -: कहें सुधीर कविराय
दोहा -: कहें सुधीर कविराय
Sudhir srivastava
यदि आपका आज
यदि आपका आज
Sonam Puneet Dubey
अगर ख़ुदा बनते पत्थर को तराश के
अगर ख़ुदा बनते पत्थर को तराश के
Meenakshi Masoom
पूर्ण सत्य
पूर्ण सत्य
Rajesh Kumar Kaurav
Loading...