Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 May 2023 · 1 min read

Pouring in the fire

Pouring in the fire
In order to reach heaven
Inspite of all the sufferings
She had had
Was it justice?
Or a mere myth?

What if she didn’t acknowledge?
Will you accept her?
Or destroy her individuality
And make her a living corpse?

The cause of her state
Is also herself
Despite of being knowledgeable
The willingness came short
Heart overpowered the mind
And threw her in the black hole.

Language: English
Tag: Poem
124 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

उहे सफलता हवय ।
उहे सफलता हवय ।
Otteri Selvakumar
छात्रों की पीड़ा
छात्रों की पीड़ा
पूर्वार्थ
चाँद को कहाँ है अंदाज़ा की उसमें दाग़ भी है।
चाँद को कहाँ है अंदाज़ा की उसमें दाग़ भी है।
Madhu Gupta "अपराजिता"
वाद को वाद ही रहने दें, विवाद न बनने दें…
वाद को वाद ही रहने दें, विवाद न बनने दें…
सुशील कुमार 'नवीन'
पहाड़ पर कविता
पहाड़ पर कविता
Brijpal Singh
तिनका तिनका सजा सजाकर,
तिनका तिनका सजा सजाकर,
AJAY AMITABH SUMAN
3960.💐 *पूर्णिका* 💐
3960.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
गुरु रामदास
गुरु रामदास
कवि रमेशराज
sp42 पीठ में खंजर/ परंपरा तुलसीदास की
sp42 पीठ में खंजर/ परंपरा तुलसीदास की
Manoj Shrivastava
8) “चन्द्रयान भारत की शान”
8) “चन्द्रयान भारत की शान”
Sapna Arora
प्रथ्वी पर स्वर्ग
प्रथ्वी पर स्वर्ग
Vibha Jain
गुमाँ हैं हमको हम बंदर से इंसाँ बन चुके हैं पर
गुमाँ हैं हमको हम बंदर से इंसाँ बन चुके हैं पर
Johnny Ahmed 'क़ैस'
एक महिला जिससे अपनी सारी गुप्त बाते कह देती है वह उसे बेहद प
एक महिला जिससे अपनी सारी गुप्त बाते कह देती है वह उसे बेहद प
Rj Anand Prajapati
जिस रिश्ते में
जिस रिश्ते में
Chitra Bisht
उन्हें बताएं क्या
उन्हें बताएं क्या
Jyoti Roshni
गणेश जी का आत्मिक दर्शन
गणेश जी का आत्मिक दर्शन
Shashi kala vyas
हरियाली तीज
हरियाली तीज
RAMESH SHARMA
मतदान
मतदान
Shutisha Rajput
मुस्कुराहटों के मूल्य
मुस्कुराहटों के मूल्य
Saraswati Bajpai
डायरी में शायरी...1
डायरी में शायरी...1
आर.एस. 'प्रीतम'
खाऊ नेता
खाऊ नेता
*प्रणय प्रभात*
एक शकुन
एक शकुन
Swami Ganganiya
** मुक्तक **
** मुक्तक **
surenderpal vaidya
शीर्षक - सोच आपकी हमारी
शीर्षक - सोच आपकी हमारी
Neeraj Kumar Agarwal
क्या बोले थे तुम !
क्या बोले थे तुम !
Buddha Prakash
राह कोई नयी-सी बनाते चलो।
राह कोई नयी-सी बनाते चलो।
लक्ष्मी सिंह
अपनी समझ और सूझबूझ से,
अपनी समझ और सूझबूझ से,
आचार्य वृन्दान्त
सोरठौ
सोरठौ
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
मुक्तक
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
🌸प्रकृति 🌸
🌸प्रकृति 🌸
Mahima shukla
Loading...