होलीकोत्सव
होलिकोत्सव
पूनम फागुन मास में ,दहन होलिका रात।
मिलें गले सब मीत जन,छोड़ द्वेष की बात।
छोड़ द्वेष की बात,सभी मिल फगुआ गाते ।
लगे अबीर गुलाल, संग में गुझिया खाते ।
कहें प्रेम कविराय,किलोलें खुशियाँ हरदम |
जन जन में उल्लास, भरे ये पावन पूनम।
डा प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम