Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Dec 2022 · 1 min read

समय देकर तो देखो

समय देकर तो देखो
शायद सब कुछ ठीक हो जाए
पुराने-कड़वे रिश्तों में
शायद थोड़ी-सी मिठास भर आए।
दुश्मनी की मशालों में आग
शायद थोड़ी कम हो जाए।
भटके हुए मुसाफिरों को
राह कोई ठीक मिल जाए।
समय देकर तो देखो
शायद सब कुछ ठीक हो जाए।
ज़िन्दगी में आई मुश्किलों का
शायद कोई हल मिल जाए।
पीढ़ियों के बीच बनी है जो खाई
शायद वो भी आसानी से भर जाए।
टूटे हुए दिलों को भी
शायद कोई मरहम मिल जाए।
समय देकर तो देखो
शायद सब कुछ ठीक हो जाए।

Language: Hindi
4 Likes · 1 Comment · 456 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

उदास शख्सियत सादा लिबास जैसी हूँ
उदास शख्सियत सादा लिबास जैसी हूँ
Shweta Soni
Packers and movers in Jind |Movers and Packers in Jind
Packers and movers in Jind |Movers and Packers in Jind
Hariompackersandmovers
कभी उनका
कभी उनका
Dr fauzia Naseem shad
सत्य की खोज
सत्य की खोज
Akshay patel
A School(Navodaya) Boy
A School(Navodaya) Boy
SUNDER LAL PGT ENGLISH
हम क्रान्ति तो ला चुके हैं कई बार
हम क्रान्ति तो ला चुके हैं कई बार
gurudeenverma198
मैं नदी
मैं नदी
Usha Gupta
प्रियतमा और कॉफी
प्रियतमा और कॉफी
शशि कांत श्रीवास्तव
वो बुद्ध कहलाया ...
वो बुद्ध कहलाया ...
sushil sarna
ज़िन्दगी गुज़रने लगी है अब तो किश्तों पर साहब,
ज़िन्दगी गुज़रने लगी है अब तो किश्तों पर साहब,
Ranjeet kumar patre
सत्य की खोज
सत्य की खोज
Meera Singh
अतीत
अतीत
"एकांत "उमेश*
मैं कौन हूँ
मैं कौन हूँ
पूनम 'समर्थ' (आगाज ए दिल)
*माँ जगत जननी*
*माँ जगत जननी*
Vedkanti bhaskar
संकल्प
संकल्प
Shashank Mishra
सम्मान शराफत से मिल जाए वही सम्मान।
सम्मान शराफत से मिल जाए वही सम्मान।
पूर्वार्थ
काव्य
काव्य
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
ख्वाहिशों को अक्सर
ख्वाहिशों को अक्सर
Chitra Bisht
मूक संवेदना🙏
मूक संवेदना🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
4629.*पूर्णिका*
4629.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
जिंदगी! क्या कहूँ तुझे
जिंदगी! क्या कहूँ तुझे
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
" रीत "
Dr. Kishan tandon kranti
बातें रूबरू होंगी
बातें रूबरू होंगी
Kamla Prakash
श्रंगार
श्रंगार
Vipin Jain
इतना कभी ना खींचिए कि
इतना कभी ना खींचिए कि
Paras Nath Jha
मकर संक्रांति
मकर संक्रांति
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
😂आजकल😂
😂आजकल😂
*प्रणय प्रभात*
चाय!
चाय!
Kanchan Alok Malu
स्थिरप्रज्ञ
स्थिरप्रज्ञ
शालिनी राय 'डिम्पल'✍️
क्या से क्या हो गया देखते देखते।
क्या से क्या हो गया देखते देखते।
सत्य कुमार प्रेमी
Loading...