Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Sep 2022 · 4 min read

जगत का जंजाल-संसृति

(मनुष्यों को अपने हृदय की सु बुद्धि से दीपशिखा जलाने चाहिए।उन्हे इक दुसरे के मध्य भेदभाव डालकर मौजमस्ती नही करनी चाहिए।मौजमस्ती दो पल की भूल है उनके कुबुद्धि का फल शूल है)

इस प्रकृति के ‘विशद -अंक ‘मे कलिकाल की संसृति का “श्री गणेश” होता है जहां सुख आने पर आनंद सुखित हो जाती है वही दुख आने पर सुप्त- व्यथा जागृत होती है उसी प्रकृति के विशद अंक मे एक छोटा-सा गांव है -दामन पुर ।जो चारो ओर नदी यों से घिरा हुआ है।कहीं – कहीं खुले मैदान हैं तो किसानों की चांद तोडने जैसी काम भी है।लोग अपनी – अपनी संस्कृति से जुड ने का प्रयत्न कर रहे है।वहीं पथ के किनारे आम्र – पीपल के द्रुत लगे हुए हैं जिससे शीतल समीर बह रहा है और प्यारे अभिन्न निमग्न हो रहे हैं।वहां के अधिकांश ग्रामीण अल्प ज्ञ है ।वे किसी को ठेस लगाकर नही,अपितु खुन -पसीना बहाकर अपना जीविका चलाते है ।वे अपने काम के आगे भगवान को स्मरण करना भूल जाते है परेशानी सहन कर सकते है किन्तु पराजित नही।

उसी गांव मे दानि क राम और भोजराम नामक दो भाई निवास करते है।वे भाई तो दोनों एक है परन्तु स्वभाव एक नही पराई चीजों पर आंखें गाढाना बडे भाई दानि क राम का पेशा है लालच ने उन्हे अंधा बना दिया है मानो कुबेर का धन पाकर भी सन्तोष नही और बगैर सन्तोष के लालच का नाश कहां? हां छोटे भाई भोजराम शील – स्वभाव के है।उन्हे दुनिया की लालच नही है सिर्फ दो बख्त की रोटी पर भरोसा है वे लक्ष्मण के चरण चिन्ह पर चलने वाले हैं।उनके भीतर बङे भाई के प्रति सेवा व समर्पण के भाव है ।तभी तो वे दानि क राम के हर उड़ती तीर को झेलते रहे पर उन्हे क्या जो राम न होकर एक प्रपं ची ठहरे..।

असल मे दानि क राम अपने आप को छोटे भाई भोजराम की अपेक्षा ज्यादा समृद्ध और सम्पन्न समझते है परन्तु उससे ज्यादा उनका अहंकार है। वे नित्य रामायण का पाठ भी करते है तब भी त्रिशूल के उस महान सिद्धांत को भूल ही जाते है जिसमे लिखा है-सत वचन बोलना चाहिए।सत्य कर्म और सत्य विचार से रहना चाहिए।हां वे इस सिद्धांत को पढते जरूर है किन्तु अपने ।हकीकत कि दुनिया मे नही उतार सकते।वे दुनिया के श्रेष्ठ ग्रंथो में एक ‘श्रीराम चरित्र मानस ‘मे यह भी पढते है कि “भाई की भुजा भाई ही होता है।” फिर उसी भाई वैमनस्यता किसलिए?तू- तू ,मैं – मैं क्यों ?

माना कि दानि क राम के पास वैभव -वस्ती विपुल है पर प्रलय की अपेक्षा जीवन तो वि थु र ही है फिर ऐसा अहंकार क्यों मानो प्रलय के बाद भी जीवन का नाश नही होगा। दानिक राम के अहंकार रुपी दीमक ने छोटे भाई के प्रेम- भाव रुपी मखमल को चट् लिया है जो यह समझ नही पा रहे हैं कि छोटे भाई भोजराम के झोपड़ी में अपनों का प्यार और दुसरों का आदर भी है।वे गुरुर के आखों से संसार को देखते है कि मेरे पास क्या नही है? सबकुछ तो है और उसके पास टूटी -फुटी झोपड़ी जिसमें भी खाने -पीने की तेरह -बाईस।वह तो भुख के मार से मारा -मारा फिरता है। सायद बडे भाई दानिक राम को संसार की वास्तविकता का ठीक -ठीक बोध नही है कि इस संसार मे राजाओं का राज हो या धनवानों का धन सब क्षणिक होता है।फिर गर्व किसलिए?

वे आधी खोपड़ी के जाहिल व्यक्ति हैं जो साधारण से जिन्दगी को लेकर ऊंच -नीच के कार्य करते हैं कभी किसी कि जिल्लत करते हैं तो कभी किसी पर इल्जाम लगाते हैं किन्तु जब इन कर्मो के परिणाम समीप आते हैं तो वे चल नही सकते या जैसे -जैसे उनके जीवन की अंतिम घडी यां आने लगती हैं उनकी जीवन के हर कर्म बोलने लगती हैं।

दानिक राम के दो पुत्र हैं कार्तिकेश्वर व अचिन्त कुमार ।कार्तिकेश्वर एक शराबी है जबकि अचिन्त कुमार सिविल कोर्ट दामन पुर का मशहूर वकील है उसकी नीति अलग सी है -‘वह सत्य का घोर विरोधी है।’उनकी पत्नी अपाहिज है वह पति- प्रपंच के आगे परेशान है तब भी तन -मन -धन से पति के चरणों मे प्रेम करती है।वह एक धर्म- पत्नी होने के नाते यह जानती है कि दान और तीर्थ से बढकर भी पति की सेवा है। एक दिन अनायास कार्तिकेश्वर शराब के नशे मे मदमस्त होकर अपने काका भोजराम को मारने दौडा.. अब भोजराम क्या करते?वे भागते -भागते पुलिस थाने जा पहुंचे।पुलिस आरक्षक ने देखते ही भोजराम को सलाम किया।क्योंकि वे गांधी टोपी व कुर्ता पहने हुए थे।तत्पश्चात पुलिस ने कार्तिकेश्वर को दो हाथ लगाते हुए कारावास मे डाल दिया।मानों दानिक राम के पहाड़ से अहंकार को एक सबक मिल गया हो।लेकिन फूंक से पहाड कहां उडने वाला?

( कुछ दिनों बाद ) जब वह जेल खाना से बाहर आया तो पुन:वही बर्ताव करने लगा.आखिर कब तक?एक दिन दानि क राम के आंखो से गुरुर का चश्मा उतर गया।अब उनके पास गुरुर के चश्मे को पहनने के लिए आंखें नहीं रही ।अचानक वकील अचिन्त कुमार दुनिया से चल बसा! उन्हे जिस धन -दौलत गर्व था उसी धन -दौलत ने उनका साथ छोड दिया।फिर पैसा -पैसा किसलिए?क्या पैसों से यमराज ने वकील अचिन्त कुमार का जान बख्शा?नहीं न।वे कल के कुकर्मो से आने वाले कल को खो दिए।

जगत के जंजाल मे आकर दानिकराम अपने पुत्र वकील अचिन्त कुमार को बांध लिए थे किन्तु अपने अहंकार को नही।इस जगत के ‘जंजाल’ मे आकर अहंकार को नहीं,अपितु उस राम -नाम को भज ना चाहिए जिनका नाम ‘अनइच्छित ही अपवर्ग निसेही है।’फिर अहंकार किसलिए? मायाजाल और मोहनी मे फंसने के लिए ।

प्रकृति के बिश द अंक मे कलिकाल की संसृति(भव, जन्म – मरण )का जय श्रीराम होता है।

Language: Hindi
294 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

खुशी देने से मिलती है खुशी और ग़म देने से ग़म,
खुशी देने से मिलती है खुशी और ग़म देने से ग़म,
Ajit Kumar "Karn"
2978.*पूर्णिका*
2978.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
त्यौहार
त्यौहार
Shekhar Deshmukh
बुझी नहीं है आज तक, आजादी की आग ।
बुझी नहीं है आज तक, आजादी की आग ।
sushil sarna
#लघुकविता-
#लघुकविता-
*प्रणय प्रभात*
তোমায় বড় ভালোবাসি
তোমায় বড় ভালোবাসি
Arghyadeep Chakraborty
इसका मत
इसका मत
Otteri Selvakumar
अपने मोहब्बत के शरबत में उसने पिलाया मिलाकर जहर।
अपने मोहब्बत के शरबत में उसने पिलाया मिलाकर जहर।
Rj Anand Prajapati
है कौन वो राजकुमार!
है कौन वो राजकुमार!
Shilpi Singh
हो न हो हम में कहीं अमरत्व तो है।
हो न हो हम में कहीं अमरत्व तो है।
Kumar Kalhans
बेटे का जन्मदिन
बेटे का जन्मदिन
Ashwani Kumar Jaiswal
खुद से जंग जीतना है ।
खुद से जंग जीतना है ।
अश्विनी (विप्र)
मुझे दर्द भी पीना आ गया ।
मुझे दर्द भी पीना आ गया ।
DR. RAKESH KUMAR KURRE
फोन नंबर
फोन नंबर
पूर्वार्थ
स्त्री मन
स्त्री मन
Vibha Jain
ग़ज़ल _ दिल मचलता रहा है धड़कन से !
ग़ज़ल _ दिल मचलता रहा है धड़कन से !
Neelofar Khan
"तहकीकात"
Dr. Kishan tandon kranti
बेटी
बेटी
Ayushi Verma
चाहकर भी जता नहीं सकता,
चाहकर भी जता नहीं सकता,
डी. के. निवातिया
"भोर की आस" हिन्दी ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
चाहत
चाहत
Phool gufran
कहां याद कर पाते हैं
कहां याद कर पाते हैं
शिवम राव मणि
तल्ख़ इसकी बहुत हक़ीक़त है
तल्ख़ इसकी बहुत हक़ीक़त है
Dr fauzia Naseem shad
” क्या फर्क पड़ता है ! “
” क्या फर्क पड़ता है ! “
ज्योति
प्रेम:एक सच.!
प्रेम:एक सच.!
SPK Sachin Lodhi
“अंग्रेज़ बहुत चालाक हैं। भरी बरसात में स्वतंत्र करके चले गए
“अंग्रेज़ बहुत चालाक हैं। भरी बरसात में स्वतंत्र करके चले गए
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
वक्त एवम् किस्मत पर कभी भी अभिमान नहीं करना चाहिए, क्योंकि द
वक्त एवम् किस्मत पर कभी भी अभिमान नहीं करना चाहिए, क्योंकि द
ललकार भारद्वाज
किसी ने क्या खूब कहा है किताब से सीखो तो नींद आती है,
किसी ने क्या खूब कहा है किताब से सीखो तो नींद आती है,
Aisha mohan
कौन कहता है कफ़न का रंग सफ़ेद ही होता है
कौन कहता है कफ़न का रंग सफ़ेद ही होता है
Iamalpu9492
जीवन और जिंदगी
जीवन और जिंदगी
Neeraj Kumar Agarwal
Loading...