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28 Apr 2022 · 1 min read

युद्ध सिर्फ प्रश्न खड़ा करता है [भाग६]

एक बुढा बाप जो युद्ध मे
अपने बेटे को खो चुका था,
अपने बेटे के अर्थी को लेकर
वह श्मशान जा रहा था!

जाते जाते सब से वह
यह बोले जा रहा था,
न जाने जीवन में कितने
बड़े- बड़े बोझ हमने उठाए है!

पर कंधे पर जो बोझ है आज
हमसे सहा न जा रहा है,
उसके आँखो के आँसु
आज कहा सुख रहा था!

इस लाल के लिए उसने
न जाने वह कितने सपने बुने थे ,
आज उसके सारे सपने
टूट कर बिखर गए थे!

आखिर कैसे वह अपने लाल को
अपने से जुदा कर पाएगा,
कैसे वह उसकी चिता को
आग लगा पाएगा!

यह प्रश्न उसके मन मै
बार बार घूम रहा था!
इस युद्ध कितना बड़ा
दुख दिया है,
वह चलते चलते सोच
रहा था!

~अनामिका

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