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21 Nov 2017 · 1 min read

तू बढा सुलझा हुआ है मैं बहुत उलझा हुआ हूं

तू बढा सुलझा हुआ है
मैं बहुत उलझा हुआ हूं

तेरी यादों के दरिया में
मैं आज भी बिखरा हुआ हूँ

टूट गया आशिया दरख़्त से
तेरी याद में आज भी सम्भला हुआ हूँ

कट गए पर आसमाँ में उड़ने को
आसमाँ छूने को आज भी ज़मी पर टिका पड़ा हूँ

उड़ गया घरौंदा रेत का तूफानों में
राह में चल रहा हूँ अभी डरा नही हूँ

भूपेंद्र रावत
28/10/2017

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