हसीन
न दिन याद रहा, न तारीख याद रहा
अजी न दिन याद रहा न तारीख याद रहा
याद रह गया बस वह हसीन पल
जब एक हसीने से मुलाकात हुई थी ।
न उसने कुछ कहा न मैंने कुछ कहा
बस आंखों ही आंखों के इशारे में
क्या बताऊं उन लजीज स्वप्नों का जब
वो हसीन महबूबा से प्यार हो गया ।