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23 Mar 2022 · 1 min read

कयामत बन कर गिरोगे।

कयामत बन कर गिरोगे।
जो यूं महफिल में सज-संवर कर आओगे।।1।।

ऐसे यूं ना मुस्कुराया करो।
कितने दिलों को गम ए ज़दा कर जाओगे।।2।।

उठना बैठना पलको का तेरे।
सबकी नजरों में ख्वाबों बन कर आओगे।।3।।

ये जन्नते हुस्न नकाब में रखो।
सभी की बिगड़ने की वज़ह बन जाओगे।।4।।

मत आना आज की बज्म में।
जलन है चरागों को जो उनको बुझाओगे।।5।।

ना पता तेरे जानें के बाद का।
दीदार को तरसेंगें तुम हो कि ना आओगे।।6।।

ताज मोहम्मद
लखनऊ

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