Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 Mar 2022 · 1 min read

आया होली का त्यौहार

आया होली का त्यौहार,
लाया रंगो की बौछार।
बरसे जब होली में रंग,
हो जाते है सब बदरंग।
मन में उठे एक फुहार,
आया होली का त्यौहार।।

कोयिला कूके जब कानन में,
नाचे सब अपने आंगन में।
भर भर कर पिचकारी,
बच्चे मारे है किलकारी।
गाए सब एक मल्हार,
आया होली का त्यौहार।।

भाभी नाचे देवर के संग,
डाले एक दूजे पर रंग।
करते जब वे छीना झपटी,
हो जाती है लिपटा लिपटी।
गाए दोनो ही एक मनुहार,
आया होली का त्यौहार।।

जीजा साली खेले जब होली,
बन जाते हैं दोनो हम जोली।
मारे एक दूजे को वे गुब्बारे,
छूट जाते है हंसी के फब्बारे।
देखो उनका अनोखा प्यार,
आया होली का त्यौहार।।

किसी घर मे घुटती है भंग,
पीकर हो जाते है मदरंग।
भर भर गिलास जब वे पीते,
बहकी बहकी बाते वे करते।
उल्टा दिखता उनका व्यवहार,
आया होली का त्यौहार।

आर के रस्तोगी गुरुग्राम

Language: Hindi
Tag: गीत
3 Likes · 2 Comments · 653 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ram Krishan Rastogi
View all

You may also like these posts

उम्मीद खुद से करेंगे तो ये
उम्मीद खुद से करेंगे तो ये
Dr fauzia Naseem shad
AE888 - Nhà Cái Cung Cấp Nhiều Phương Thức Thanh Toán Tiện L
AE888 - Nhà Cái Cung Cấp Nhiều Phương Thức Thanh Toán Tiện L
AE888
नारी
नारी
Rambali Mishra
एक जख्म
एक जख्म
Minal Aggarwal
स्वर्ग सा घर है मेरा
स्वर्ग सा घर है मेरा
Santosh kumar Miri
* नाम रुकने का नहीं *
* नाम रुकने का नहीं *
surenderpal vaidya
दोहा पंचक. . . संघर्ष
दोहा पंचक. . . संघर्ष
Sushil Sarna
श्रीकृष्ण की व्यथा....!!!!
श्रीकृष्ण की व्यथा....!!!!
Jyoti Khari
लक्ष्य अभिप्रेत
लक्ष्य अभिप्रेत
Dr. Ravindra Kumar Sonwane "Rajkan"
अक्टूबर में ढमढम (बाल कविता)
अक्टूबर में ढमढम (बाल कविता)
Ravi Prakash
शहर में आग लगी है उन्हें मालूम ही नहीं
शहर में आग लगी है उन्हें मालूम ही नहीं
VINOD CHAUHAN
अपना अपना कर्म
अपना अपना कर्म
Mangilal 713
काश !
काश !
Akash Agam
ग़ज़ल
ग़ज़ल
संतोष सोनी 'तोषी'
LOVE
LOVE
SURYA PRAKASH SHARMA
मंजिल की राह
मंजिल की राह
आकाश महेशपुरी
मैंने हर मुमकिन कोशिश, की उसे भुलाने की।
मैंने हर मुमकिन कोशिश, की उसे भुलाने की।
ओसमणी साहू 'ओश'
वक़्त का समय
वक़्त का समय
भरत कुमार सोलंकी
*नई मुलाकात *
*नई मुलाकात *
DR ARUN KUMAR SHASTRI
जब इंसान को किसी चीज की तलब लगती है और वो तलब मस्तिष्क पर हा
जब इंसान को किसी चीज की तलब लगती है और वो तलब मस्तिष्क पर हा
Rj Anand Prajapati
किससे माफी माँगू, किसको माँफ़  करु।
किससे माफी माँगू, किसको माँफ़ करु।
अश्विनी (विप्र)
तंत्र  सब  कारगर नहीं होते
तंत्र सब कारगर नहीं होते
Dr Archana Gupta
हजारों से बात बिगड़ी थी...
हजारों से बात बिगड़ी थी...
Vishal Prajapati
दोहे विविध प्रकार
दोहे विविध प्रकार
Sudhir srivastava
भीगी पलकें( कविता)
भीगी पलकें( कविता)
Monika Yadav (Rachina)
जीवन में संघर्ष
जीवन में संघर्ष
महेश चन्द्र त्रिपाठी
समस्या विकट नहीं है लेकिन
समस्या विकट नहीं है लेकिन
सोनम पुनीत दुबे "सौम्या"
- हम खुद को संभाल लेंगे -
- हम खुद को संभाल लेंगे -
bharat gehlot
दिल का हमने कर दिया,खाली वही मकान
दिल का हमने कर दिया,खाली वही मकान
RAMESH SHARMA
गले लगना है तो उसको कहो अभी लग जाए
गले लगना है तो उसको कहो अभी लग जाए
Jyoti Roshni
Loading...