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8 Nov 2021 · 1 min read

दोहे “लक्ष्मी”

“लक्ष्मी” (दोहे)

आज अमावस रात्रि को, दीपों का त्योहार।
लक्ष्मी आईं धरा पर, करने को उजियार।।

माँ लक्ष्मी वरदायिनी, विनय करो स्वीकार।
सुख-वैभव जग पूर्ण हो, भरे रहें भंडार।।

आज मिठाई खा रहे, निर्धन अरु धनवान।
समता भाव बना रहे, माता दो वरदान।।

ये प्रकाश का पर्व है, दो मुझको वरदान।
ज्योतिर्मय अंतस रहे ,मातु हरो अज्ञान।

मना रहे उत्सव सभी, गेह बना पकवान।
भयाग्रस्त नर -नारियाँ, माँ करना कल्याण।।

डॉ. रजनी अग्रवाल “वाग्देवी रत्ना”
वाराणसी (उ. प्र.)

Language: Hindi
1185 Views
Books from डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना'
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